न्यूज़ हेडलाइंस Post

सभी बंधुओं को जय श्री रघुनाथजी री सा, जय श्री खेतेश्वर दाता री सा.. अगर आप भी समाज से जुड़ी कोई न्यूज़ हम तक पहुंचाना चाहता है तो हमारे व्हाट्सएप नंबर पर हमसे संपर्क कर सकते हैं हमारा व्हाट्सएप नंबर है 9286464911 सवाई सिंह राजपुरोहित मीडिया प्रभारी सुगना फाउंडेशन मेघलासिया

Followers

यह ब्लॉग समर्पित है!






"संत श्री 1008 श्री खेतेश्वर महाराज" एवं " दुनिया भर में रहने वाले राजपुरोहित समाज को यह वेबसाइट समर्पित है" इसमें आपका स्वागत है और साथ ही इस वेबसाइट में राजपुरोहित समाज की धार्मिक, सांस्‍क्रतिक और सामाजिक न्‍यूज या प्रोग्राम की फोटो और विडियो को यहाँ प्रकाशित की जाएगी ! और मैने सभी राजपुरोहित समाज के लोगो को एकीकृत करने का ऐसा विचार किया है ताकि आप सभी को राजपुरोहित समाज के लोगो को खोजने में सुविधा हो सके!

आप भी इसमें शामिल हो सकते हैं तो फिर तैयार हो जाईये!

"हमारे किसी भी वेबसाइट पर आपका हमेशा स्वागत है!"

वेबसाइट व्यवस्थापक
सवाई सिंह राजपुरोहित-आगरा{मिडिया प्रभारी }
सुगना फाऊंडेशन-मेघलासिया जोधपुर & आरोग्यश्री मेला समिति
09286464911

मेरे साथ फेसबुक से जुडिए

7.1.19

एक राजपुरोहित थे ....

एक राजपुरोहित थे। वे अनेक विधाओं के ज्ञाता होने के कारण राज्य में अत्यधिक प्रतिष्ठित थे। बड़े-बड़े विद्वान उनके प्रति आदरभाव रखते थे पर उन्हें अपने ज्ञान का लेशमात्र भी अहंकार नहीं था। उनका विश्वास था कि ज्ञान और चरित्र का योग ही लौकिक एवं परमार्थिक उन्नति का सच्चा पथ है। प्रजा की तो बात ही क्या स्वयं राजा भी उनका सम्मान करते थे और उनके आने पर उठकर आसन प्रदान करते थे।

एक बार राजपुरोहित के मन में जिज्ञासा हुई कि राजदरबार में उन्हें आदर और सम्मान उनके ज्ञान के कारण मिलता है अथवा चरित्र के कारण? इसी जिज्ञासा के समाधान हेतु उन्होंने एक योजना बनाई। योजना को क्रियान्वित करने के लिए राजपुरोहित राजा का खजाना देखने गए। खजाना देखकर लौटते समय उन्होंने खजाने में से पाँच बहुमूल्य मोती उठाए और उन्हें अपने पास रख लिया। खजांची देखता ही रह गया।
 राजपुरोहित के मन में धन का लोभ हो सकता है।
  खजांची ने स्वप्न में भी नहीं सोचा था। उसका वह दिन उसी उधेड़बुन में बीत गया।


दूसरे दिन राजदरबार से लौटते समय राजपुरोहित पुन: खजाने की ओर मुड़े तथा उन्होंने फिर पाँच मोती उठाकर अपने पास रख लिए। अब तो खजांची के मन में राजपुरोहित के प्रति पूर्व में जो श्रद्धा थी वह क्षीण होने लगी।

तीसरे दिन जब पुन: वही घटना घटी तो उसके धैर्य का बाँध टूट गया। उसका संदेह इस विश्वास में बदल गया कि राजपुरोहित की ‍नीयत निश्चित ही खराब हो गई है।

उसने राजा को इस घटना की विस्तृत जानकारी दी।

राजा को इस सूचना से बड़ा आघात पहुँचा। उनके मन में राजपुरोहित के प्रति आदरभाव की जो प्रतिमा पहले से प्रतिष्ठित थी वह चूर-चूर होकर बिखर गई।

चौथे दिन जब राजपुरोहित सभा में आए तो राजा पहले की तरह न सिंहासन से उठे और न उन्होंने राजपुरोहित का अभिवादन किया, यहाँ तक कि राजा ने उनकी ओर देखा तक नहीं। राजपुरोहित तत्काल समझ गए कि अब योजना रंग ला रही है। उन्होंने जिस उद्देश्य से मोती उठाए थे, वह उद्देश्य अब पूरा होता नजर आने लगा था।

यही सोचकर राजपुरोहित चुपचाप अपने आसन पर बैठ गए। राजसभा की कार्यवाही पूरी होने के बाद जब अन्य दरबारियों की भाँति राजपुरोहित भी उठकर अपने घर जाने लगे तो राजा ने उन्हें कुछ देर रुकने का आदेश दिया। सभी सभासदों के चले जाने के बाद राजा ने उनसे पूछा - 'सुना है आपने खजाने में कुछ गड़बड़ी की है।'

इस प्रश्न पर जब राजपुरोहित चुप रहे तो राजा का आक्रोश और बढ़ा। इस बार वे कुछ ऊँची आवाज में बोले -'क्या आपने खजाने से कुछ मोती उठाए हैं?' राजपुरोहित ने मोती उठाने की बात को स्वीकार किया।

राजा का अगला प्रश्न था - 'आपने कितेने मोती उठाए और कितनी बार?'
 राजा ने पुन: पूछा - 'वे मोती कहाँ हैं?'
राजपुरोहित ने एक पुड़िया जेब से निकाली और राजा के सामने रख दी जिसमें कुल पंद्रह मोती थे। राजा के मन में आक्रोश, दुख और आश्चर्य के भाव एक साथ उभर आए।

राजा बोले - 'राजपुरोहित जी आपने ऐसा गलत काम क्यों किया? क्या आपको अपने पद की गरिमा का लेशमात्र भी ध्यान नहीं रहा। ऐसा करते समय क्या आपको लज्जा नहीं आई? आपने ऐसा करके अपने जीवनभर की प्रतिष्ठा खो दी। आप कुछ तो बोलिए, आपने ऐसा क्यों किया?

राजा की अकुलाहट और उत्सुकता देखकर राजपुरोहित ने राजा को पूरी बात विस्तार से बताई तथा प्रसन्नता प्रकट करते हुए राजा से कहा - 'राजन् केवल इस बात की परीक्षा लेने हेतु कि ज्ञान और चरित्र में कौन बड़ा है, मैंने आपके खजाने से मोती उठाए थे अब मैं निर्विकल्प हो गया हूँ। यही नहीं आज चरित्र के प्रति मेरी आस्था पहले की अपेक्षा और अधिक बढ़ गई है।

आपसे और आपकी प्रजा से अभी तक मुझे जो प्यार और सम्मान मिला है। वह सब ज्ञान के कारण नहीं ‍अपितु चरित्र के ही कारण था। आपके खजाने में सबसे अधिक बहुमू्ल्य वस्तु सोना-चाँदी या हीरा-मोती नहीं बल्कि चरित्र है।

अत: मैं चाहता हूँ कि आप अपने राज्य में चरित्र संपन्न लोगों को अधिकाधिक प्रोत्साहन दें ताकि चरित्र का मूल्य उत्तरोत्तर बढ़ता रहे।
 कहा जाता है -

धन गया, कुछ नहीं गया,
स्वास्थ्‍य गया, कुछ गया।
चरित्र गया तो सब कुछ गया।


यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर (Join this site) अवश्य बने. साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ. यहां तक आने के लिये सधन्यवाद.... आपका सवाई सिंह राजपुरोहित

No comments:

Post a Comment

यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर(Join this site)अवश्य बने. साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ. यहां तक आने के लिये सधन्यवाद.... आपका सवाई सिंह 9286464911

Labels

"खेतेश्वर महिमा (3) About Me (2) Acupressure (9) Ajit Rajpurohit (1) Akash Rajpurohit (5) Amar Singh Rajpurohit (9) Anita Rajpurohit (2) Anmol vachan (2) ARKYSS (56) Babu Singh (4) Balwant RajGuru (2) Balwant Singh (3) Biram singh (6) Blood (13) Brahma Temple (31) Communiy (56) dd Rajasthan (1) Dev Kishan Singh (3) Dr APJ Abdul Kalam (1) Dr M p Singh (100) Dr Shivalika Sharma (9) durag singh (7) Facbook page (165) facebook (78) Gajendra Singh (2) Garima Singh (7) Gopal Singh (3) Gotras (4) Govind Singh (14) Hams Institute (38) Harish Singh (1) Hems Institute (7) Jalam Singh (6) Jankari (64) Janmdin (17) Jay Singh (1) JNVU (3) Jorawar Singh (1) Kishor Singh (44) MLA Rajpurohit (26) MLA Shankar Singh (11) Mohan Singh (1) Mukesh Dudawat (1) Narpat Singh (40) News (157) Pahal (60) pathmeda (9) PM Narendra Modi (22) Poonam Singh (4) Pravasi Sandesh (1) Priti Rajpurohit (1) R K Purohit (11) R p प्रमुख स्थल एव संस्थान (1) Rajpurohit News (459) Rajpurohit History (22) Rajpurohit News (1058) Rajpurohit Samaj (191) Rajpurohit Yuva Shakti (4) Ramesh Singh (3) RJ Narendra (1) S P Singh (68) Sant Atmanand Ji Maharaj (6) Sant Khetaramji Maharaj (74) Sant Shri Aatmanand Ji Maharaj (20) Sant Shri Tulacharam Ji Maharaj (110) Santosh (6) Satender Singh (2) SAVE GIRL CHILD (8) sawai singh (127) Sawai Singh Rajpurohit (41) Share kare (52) Shishupal Singh (5) Shri NirmalDas Ji Maharaj (44) Shyam singh (3) Suja Kanwar Rajpurohit (1) Surat (6) Suresh Rajpurohit Jugnu (5) Swachh Bharat (4) video (9) Vijay Singh (1) Vikram (Viksa) (9) virus post (16) website (35) WhatsApp (83) www.bhaskar.com (32) www.skbdtirth.org (3) Yogendra Singh (7) YouTube (53) अब लिखिए अपनी भाषा में (1) अमर शहीद श्री हरि सिंह (1) अरविन्द राजपुरोहित (2) अशोक सिंह (3) एक बड़ा चबूतरा (1) एस.पी.सिंह (20) ओम प्रकाश (4) कमेन्ट बाक्स (1) कविता (22) किशोर सिंह (13) कृष्ण जन्माष्टमी (5) गरीमा राजपुरोहित (4) गायत्री महायज्ञ (5) गांव की जानकारी (7) गुरु पूर्णिमा (9) गो माता (54) गोविन्द (2) गौरक्षा कमांडो फाेर्स (1) चातुर्मास (33) जन्मोत्सव (36) जयंती (3) जयंती विशेष (43) जानकारी (40) जीवन परिचय (22) जीवनरक्षक सोसाइटी (2) जीवराजसिंह (3) ज्ञान (5) डॉ.M.P सिंह राजपुरोहित (10) डॉ.भवरलाल जी (2) तीन दिवसीय नि:शुल्क एक्यूप्रेशर (2) दक्ष प्रताप (2) दहेज (2) दिनेश सिंह (4) देवकिशन राजपुरोहित (1) नरपत सिंह (20) न्यूज़ (164) परमेश्वर सिंह (11) परिचय (3) पूनम राजपुरोहित (1) प्रताप सिहं राजपुरोहित (2) प्रथम मुकुंद पर सवार प्रतिमा (1) प्रवीण सिंह (3) प्रेरणा शिविर (6) फोटो (12) बगसिँह बागरा (33) बलवंत सिहं (1) बाबा रामदेव जी (2) बालू सिंह (3) ब्रम्हाजी मंदिर (16) ब्रह्मपुत्र सेना (31) ब्रह्मास्त्र सेवादल (1) भैरोसिंह राजपुरोहित (3) रघुवीर सिंह (3) राजपुरोहित का परिचय (5) राजपुरोहित समाज (41) राजपुरोहित समाज और जाति (3) राजस्थान मिष्ठान भंडार (1) रामदेवजी (4) रासीसर गाँव (1) विजिटर डायरी (2) विडियो (9) विनम्र श्रधांजलि (77) विशेष (249) शत शत नमन (17) शुभकामनाएँ (84) शेयर/बँटना (302) श्री अमरा राम जी (2) श्री आत्मानन्दजी (11) श्री खेतेश्वर महाराज (130) श्री तुलछारामजी महाराज (184) श्री दत्तशरणनन्द जी (13) श्री ध्यानरामजी (62) श्री ध्यानारामजी (96) श्री निर्मलदासजी (23) श्री बालकदास जी (20) श्री मोहनपुरी जी महाराज (1) श्री शांतिनाथ जी महाराज (2) श्री शान्तिनाथजी महाराज (1) श्रीखेतेश्वर महाराज (29) श्रीखेतेश्वर युवा सेवा संघ (10) श्रीशक्तिनाथनाथजी महाराज (1) संत गुरु ज्ञान गंगा प्रतियोगिता (2) सन्देश (24) सवाई सिंह (107) सुगना फाऊंडेशन (362) सूचना (271) सूरज दीदी (1) हमारे मार्गदर्शक (1) हार्दिक शुभकामनायें (36) हैम्स ओसिया इन्स्टिट्यूट (13)

Search This Blog

आपका लोकप्रिय ब्लॉग अब फेसबुक पर अभी लाइक करे .



Like & Share

Share us

Contact Form

Name

Email *

Message *

ट्विटर पर फ़ॉलो करें!



Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

एक सुचना

एक सुचना