राजपुरोहित नामा -एक काली किताब की समीक्षा इस पोस्ट मे किताब की विषयवस्तु, शैली तथा अन्य विशेषताओं का विश्लेषण करते हुए उसकी साहित्यिक समालोचना प्रकाश डाल रहे हैं लेखक और कवि भाई श्री नरपत सिंह राजपुरोहित हृदय
आपको बताएं श्री नरपत सिंह राजपुरोहित ने अब तक 15 से अधिक कवि और समाज बंधुओं का जीवन परिचय लिखा है साथी आपने श्री खेतेश्वर महाराज का जीवनी भी लिखी है जो कि राजपुरोहित समाज इंडिया पर प्रकाशित की गई थी समय-समय पर समाज की प्रतिभाओं को आगे लाने और समाज की न्यूज़ पब्लिश करके बहुत बड़ा काम कर रहे हैं राजपुरोहित समाज इंडिया आज इन्हीं की बदौलत इस मुकाम पर पहुंचा है सोशल मीडिया काा सबसे बड़ा प्लेटफार्म बनाने में आपका योगदान अविश्वसनीय है नरपत सिंह राजपुरोहित सुगना फाउण्डेशन फैमिली आपका तहे दिल से धन्यवाद करती है इस पुस्तक समीक्षा के लिए आइए जानते हैं इस पुस्तक के बारे में .......
राजपुरोहित नामा -एक काली किताब
लेखक - श्री हितेशजी राजपुरोहित सांथू
पुस्तक समीक्षा - नरपतसिंह राजपुरोहित ह्रदय
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इस किताब के लिये मेरे जैसे सैकड़ों बन्धु प्रतीक्षा में थे जिसकी प्रतीक्षा 2012 से लेकर अब 2019 में पूरी हुई ।
पुस्तक के नाम राजपुरोहित नामा -एक काली किताब से ही पढ़ने की उत्सुकता ज्यादा थी कि ऐसा इस पुस्तक में क्या है जो इसको काली किताब नाम दिया गया है ।
इस पुस्तक को लेखक ने तीन अनुकर्मो में लिखा है ,
1850 से 1975 भूतकाल के रूप में , 1975 से 2018 वर्तमान काल के रूप में और 2020 से 2050 भविष्य काल के रूप में ।
भूतकाल के अनुक्रम में लिखी कहानियां हीरकी नामा और भूरी नामा पर थोड़ा विश्वास करना कठिन हुआ कि उस काल मे राजपुरोहित समाज जैसे समाज मे इस तरह की निर्लज्ज घटनाये होना मुमकिन कैसे हुआ ,
वहीं फूलवती नामा , गौरी नामा , मर्द नामा, राधा नामा और क्रोध नामा की कहानियों की सच्चाई को लेखक ने इस तरह लिखा कि पढ़कर कलेजा ही हिल गया । इन कहानियों को पढ़कर एक पल तो यह महसूस हुआ कि उस काल मे शायद यह दुख और दर्द की चरम सीमा थी।
वहीं भेड़िया नामा और पत्थर मार नामा जैसी कहानी ने शौर्यता का परिचय भी करवाया है।
वर्तमान काल की देशावर नामा, मुसलमानी नामा और गुड़ानाल के गुमानसिंह की गुमानसिंह नामा कहानियां बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर देगी ,
वहीं दरिया नामा , बाजूबन्ध नामा ,एक्सीडेंट नामा आंखों में आंसू ले आएगी।
लेखक ने भविष्यकाल के अनुक्रम की कहानियों में समाज की वर्तमान परिस्थितियों को भांपते हुए भविष्य की विकटता पर चिंता करते हुए कयास लगाकर कहानियां लिखी है।
जो समय आने पर ही पता चल पाएगा कि वो किस दिशा में ढलती है ।
लेखक हितेशजी ने इस किताब में भूतकाल के समाज के वो काले सच लिखें है जो कई दर्द बयां करते है उसके लिए उनके द्वारा किये गए सर्वे एवम लेखन का मैं धन्यवाद करता हूँ। पर मैं कहना चाहूंगा कि ये उस काल मे मारवाड़ के हर समाज की सच्चाई थी जिसे केवल एक समाज पर लिखना भी उचित नहीं रहा ।
इस पुस्तक में लेखक ने राजपुरोहित समाज गणित नामा में जो आंकड़े दिए है वो आंकड़ें बिल्कुल भी परफेक्ट नहीं है जिनको मैं नकारता हूँ ।
दो तीन कहानियों को छोड़कर पुस्तक वास्तव में पढ़ने योग्य है , इसमें लेखक की मेहनत रंग लायी है और पुस्तक सफलता के शिखर पर है , हजारों बन्धुओ ने इस पुस्तक को खरीदा है , आप भी खरीदिये, पढिये और अपने विचार व्यक्त कीजिये ।
इस किताब की ज्यादातर कहानियां लेखक के गृह क्षेत्र जालोर के आसपास की प्रतीत होती है , हालांकि इस तरह की कई कहानियों से मारवाड़ का आँचल भरा पड़ा है जिससे कई किताबे और भी लिखी जा सकती है।
कोई मेरे विचारों को अन्यथा न लें ,राजपुरोहित समाज का बन्धु होने के नाते मेरा इस पुस्तक पर विचार रखने का अधिकार था जो मैंने किया ।
धन्यवाद ।।
पुस्तक समीक्षा - नरपतसिंह राजपुरोहित ह्रदय
आपको बताएं श्री नरपत सिंह राजपुरोहित ने अब तक 15 से अधिक कवि और समाज बंधुओं का जीवन परिचय लिखा है साथी आपने श्री खेतेश्वर महाराज का जीवनी भी लिखी है जो कि राजपुरोहित समाज इंडिया पर प्रकाशित की गई थी समय-समय पर समाज की प्रतिभाओं को आगे लाने और समाज की न्यूज़ पब्लिश करके बहुत बड़ा काम कर रहे हैं राजपुरोहित समाज इंडिया आज इन्हीं की बदौलत इस मुकाम पर पहुंचा है सोशल मीडिया काा सबसे बड़ा प्लेटफार्म बनाने में आपका योगदान अविश्वसनीय है नरपत सिंह राजपुरोहित सुगना फाउण्डेशन फैमिली आपका तहे दिल से धन्यवाद करती है इस पुस्तक समीक्षा के लिए आइए जानते हैं इस पुस्तक के बारे में .......
राजपुरोहित नामा -एक काली किताब
लेखक - श्री हितेशजी राजपुरोहित सांथू
पुस्तक समीक्षा - नरपतसिंह राजपुरोहित ह्रदय
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इस किताब के लिये मेरे जैसे सैकड़ों बन्धु प्रतीक्षा में थे जिसकी प्रतीक्षा 2012 से लेकर अब 2019 में पूरी हुई ।
पुस्तक के नाम राजपुरोहित नामा -एक काली किताब से ही पढ़ने की उत्सुकता ज्यादा थी कि ऐसा इस पुस्तक में क्या है जो इसको काली किताब नाम दिया गया है ।
इस पुस्तक को लेखक ने तीन अनुकर्मो में लिखा है ,
1850 से 1975 भूतकाल के रूप में , 1975 से 2018 वर्तमान काल के रूप में और 2020 से 2050 भविष्य काल के रूप में ।
भूतकाल के अनुक्रम में लिखी कहानियां हीरकी नामा और भूरी नामा पर थोड़ा विश्वास करना कठिन हुआ कि उस काल मे राजपुरोहित समाज जैसे समाज मे इस तरह की निर्लज्ज घटनाये होना मुमकिन कैसे हुआ ,
वहीं फूलवती नामा , गौरी नामा , मर्द नामा, राधा नामा और क्रोध नामा की कहानियों की सच्चाई को लेखक ने इस तरह लिखा कि पढ़कर कलेजा ही हिल गया । इन कहानियों को पढ़कर एक पल तो यह महसूस हुआ कि उस काल मे शायद यह दुख और दर्द की चरम सीमा थी।
वहीं भेड़िया नामा और पत्थर मार नामा जैसी कहानी ने शौर्यता का परिचय भी करवाया है।
वर्तमान काल की देशावर नामा, मुसलमानी नामा और गुड़ानाल के गुमानसिंह की गुमानसिंह नामा कहानियां बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर देगी ,
वहीं दरिया नामा , बाजूबन्ध नामा ,एक्सीडेंट नामा आंखों में आंसू ले आएगी।
लेखक ने भविष्यकाल के अनुक्रम की कहानियों में समाज की वर्तमान परिस्थितियों को भांपते हुए भविष्य की विकटता पर चिंता करते हुए कयास लगाकर कहानियां लिखी है।
जो समय आने पर ही पता चल पाएगा कि वो किस दिशा में ढलती है ।
लेखक हितेशजी ने इस किताब में भूतकाल के समाज के वो काले सच लिखें है जो कई दर्द बयां करते है उसके लिए उनके द्वारा किये गए सर्वे एवम लेखन का मैं धन्यवाद करता हूँ। पर मैं कहना चाहूंगा कि ये उस काल मे मारवाड़ के हर समाज की सच्चाई थी जिसे केवल एक समाज पर लिखना भी उचित नहीं रहा ।
इस पुस्तक में लेखक ने राजपुरोहित समाज गणित नामा में जो आंकड़े दिए है वो आंकड़ें बिल्कुल भी परफेक्ट नहीं है जिनको मैं नकारता हूँ ।
दो तीन कहानियों को छोड़कर पुस्तक वास्तव में पढ़ने योग्य है , इसमें लेखक की मेहनत रंग लायी है और पुस्तक सफलता के शिखर पर है , हजारों बन्धुओ ने इस पुस्तक को खरीदा है , आप भी खरीदिये, पढिये और अपने विचार व्यक्त कीजिये ।
इस किताब की ज्यादातर कहानियां लेखक के गृह क्षेत्र जालोर के आसपास की प्रतीत होती है , हालांकि इस तरह की कई कहानियों से मारवाड़ का आँचल भरा पड़ा है जिससे कई किताबे और भी लिखी जा सकती है।
कोई मेरे विचारों को अन्यथा न लें ,राजपुरोहित समाज का बन्धु होने के नाते मेरा इस पुस्तक पर विचार रखने का अधिकार था जो मैंने किया ।
धन्यवाद ।।
पुस्तक समीक्षा - नरपतसिंह राजपुरोहित ह्रदय
अगर कोई समाज बंधु इस किताब को लेना चाहते हैं तो आप दिए गए नंबर पर व्हाट्सएप नंबर पर अपना नाम और पता लिख कर भेज सकते हैं या अधिक जानकारी के लिए संपर्क कर सकते हैं मोबाइल नंबर 6378386724
The prime minister of India has launched a scheme named PM Modi Scholarship 2019; the aim to launch this scheme is providing financial aid to the students in peruses their higher education. Students who have passed their 10th or 12th class can apply for this scheme. In order to apply for PM Modi Scholarship, 2019 students have to register themselves and fill an online application form.
ReplyDeleteप्रिय भाई हितेश जी,
ReplyDeleteआपकी किताब *राजपुरोहित नामा* पढ़ी जिसको पढ़ने के लिए वाकई बहुत उतावला था. इस किताब के बारे मे इतना ही कहूँगा कि यह किताब वर्तमान के युवाओं तथा भविष्य के लिए मार्गदर्शक ओर समाज मन को भावनात्मक बंध से जोड़ने का कार्य यह किताब जरूर करेगी. इस किताब की कुछ कहानियां वाकई दिलो दिमाग में सोचने पर मजबूर कर देती है.
( मर्द नामा, बाजूबंद नामा, टिफिन नामा, रज्जपुरोहित नामा, दहेज नामा, नशा नामा, भाता नामा, होनू पिया रजाई नामा, etc. )
कुछ कहानियां अपने पूर्वजों की तथा उनके वक्त ओर हालातों से रूबरू होने का अनुभव करवाती है तो कुछ कहानियां बीते हालातों की वजह से आँख मे आसू दिलाती है. *देशावर नामा - के बारे मे इतना ही कहूँगा की आज समाज इतनी विशाल रूप से पूरे विश्व में स्थानांतरित है यह कहानी उसका अंग जरूर होगी. अपने अतीत से कुछ सीखने के लिए यह किताब वास्तविक रूप से मार्गदर्शक तो है लेकीन भविष्य मे होने वाले नुकसान से भी साझा करवाती है.
कुछ कहानियां अपने आप मे राजपुरोहित होने का गर्व महसूस करवाती है (करती अंगीया).
*इस किताब के लिए मे आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हू, एक लेखक के रूप मे आपका यह प्रयास वाकेही काबिले तारीफ़ है.....!!!*
- Adv DipendraSinh Rajpurohit. ������������