बेटियों को बेटा मान पढ़ाया,
दिल्ली के मैथ्स ओलंपियाड में मीनल ने जीता स्वर्ण पदक
नागौर जिले के भटनोखा गांव की एक बेटी ने दिल्ली में आयोजित मैथ्स ओलंपियाड में स्वर्ण पदक प्राप्त कर साबित कर दिया कि जिले की बेटियां शिक्षा के क्षेत्र में अब कमजोर नहीं रही।
मीनल के रिश्तेदार ओंकार सिंह राजपुरोहित बताते हैं कि मीनल के भाई नहीं है। वे दो बहनें ही है। मीनल के पिता राकेश सिंह ने अपनी दो बेटियों को ही बेटे मानकर पढ़ाई करवाई है। स्कूल भेजकर शिक्षित करवा रहे हैं। बेटी मीनल
ने स्वर्णपदक प्राप्त करके परिवार का नाम रोशन किया है। मीनल ने हाल ही में एडूहिल फाउंडेशन द्वारा दिल्ली में विभिन्न विषयों गणित, विज्ञान, अंग्रेजी सहित अन्य विषयों के लिए प्रतिभाशाली बच्चों का ओलंपियाड में भाग लिया था।
जिसमें उसने मैथ्स में गोल्ड जीता।
9 वर्षीय मीनल राजपुरोहित बताती है कि पिता से प्रेणा लेकर उन्होंने कड़ी मेहनत की। पिता भी हमेशा उन्हें बेटे की तरह मानते हैं। मेहनत का ही नतीजा रहा कि दिल्ली में आयोजित
ओलंपियाड में परीक्षा दी और प्रथम स्थान प्राप्त किया।
मीनल वर्तमान में पिता के साथ महाराष्ट्र में है। जहां पिता का
व्यापार है। पिता राकेश बताते हैं कि तत्कालीन परिस्थितियों के कारण वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाए।
वे दसवीं तक पढ़े है। उन्होंने अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा प्रदान करवाने की ठान रखी है। इसके साथ ही वे अब लोगों को भी प्रेरित कर रहे है कि शिक्षा के बिना भविष्य सुधर नहीं
सकता है।
इसके अलावा गोल्ड जीतने के बाद मीनल ने भी खुशी जताई और सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया। पिता का कहना है कि मीनल को आगे पढ़ाई करने और
प्रतियोगिताओं में शामिल होने में परेशानी नहीं हो इसका ध्यान रखा जा रहा है। मीनल की इस उपलब्धि
पर परिवार सहित आसपास के लोगों ने प्रसन्नता जताई।
पिता राकेश सिंह दसवीं कक्षा तक ही पढ़े-लिखे हैं, गांव और देश में बेटियों को अच्छी शिक्षा मिले इसलिए लोगों को भी कर रहे हैं प्रेरित परिवार से मिली प्रेरणा तो गांव को भी मिली नई सीख मीनल के पिता राकेश बताते हैं की एक बार वे गांव आए तो उनके रिश्तेदार बलदेव सिंह मिले। उन्होंने उन्हें बेटे और बेटियों के बारे में पूछा।
फिर उन्होंने हौसला देते हुए कहा कि बेटियां ही बेटे होते हैं। इसी दौरान उन्होंने बताया कि गांव में बेटियों की शिक्षा पर बहुत कम जोर दिया जा रहा है। आठवीं तक की पढ़ाई करवा
रहे हैं। इसी दौरान उन्होंने बताया कि वह अपने पोते की बहू को 10वीं से शिक्षा शुरू करवा कर कॉलेज स्तर तक नियमित रूप से अध्ययन करवा रहे हैं। बहू शिक्षिका बनकर गांव के बच्चों को पढ़ाएगी। जिससे शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी पीछे नहीं रहे। गांव के बेटियों को और बहुओं को शिक्षित बनाना है यदि बेटियां और बहुएं शिक्षित होंगी तो गांव का हर बच्चा उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाएगा।
मीनल की इस सफलता पर भोपाल सिंह, गणपत सिंह, जोरावर सिंह, विक्रम सिंह, प्रोफ़ेसर ओम प्रकाश, नरपत सिंह, देवी सिंह, नरेंद्र सिंह, गंगा सिंह ने खुशी जाहिर की है। इसके अलावा गांव में भी शिक्षा को लेकर अलग सोच उत्पन्नहोने लगी है क्योंकि पहले बहुत ही कम बालिकाएं शिक्षा के लिए आगे बढ़ पाती थी। शुरू से ही होनहार, इसलिए परिवार ने
भी किया मीनल का पूरा सहयोग किया।
मीनल की प्रतिभा को देखकर परिवार ने भी सहयोग करना शुरू किया। कुछ साल पहले ही परिवार को उसकी प्रतिभा दिखने लगी। उसके दिमाग के विकास और गणित में उसकी रूचि को देखकर परिजनों ने उसको आगे बढ़ाया। उसको प्रोत्साहित किया और हर स्तर पर उसके सहयोग के लिए तैयार रहने लगे।
इसके अलावा दूसरे रिश्तेदार भी गणित को लेकर मीनल का सहयोग करने लगे। अब हर कोई मीनल के दिमाग की तारीफ करता है। छोटी उम्र में ऐसी प्रतियोगिता जीत कर मीनल ने बड़ा नाम कमाया है। परिवार में भी अब मीनल को आगे पढ़ा कर उच्च शिक्षा दिलाने के लिए शिक्षा के अच्छे प्रतिष्ठानों में एडमिशन करवाने के प्रयास भी कर रहे है। गांव में भी मीनल की तारीफ है। अन्य बालिकाएं भी मीनल की सफलता को देखकर अपने गांव में पढ़ाई के लिए प्रेरित हो रही है l
News By :- ओंकार सिंह राजपुरोहित 9176333544
संपूर्ण विश्व के राजपुरोहित समाज बंधुओ को जय रघुनाथ जी री सा..जय खेतेश्वर दाता..
दिल्ली के मैथ्स ओलंपियाड में मीनल ने जीता स्वर्ण पदक
नागौर जिले के भटनोखा गांव की एक बेटी ने दिल्ली में आयोजित मैथ्स ओलंपियाड में स्वर्ण पदक प्राप्त कर साबित कर दिया कि जिले की बेटियां शिक्षा के क्षेत्र में अब कमजोर नहीं रही।
मीनल के रिश्तेदार ओंकार सिंह राजपुरोहित बताते हैं कि मीनल के भाई नहीं है। वे दो बहनें ही है। मीनल के पिता राकेश सिंह ने अपनी दो बेटियों को ही बेटे मानकर पढ़ाई करवाई है। स्कूल भेजकर शिक्षित करवा रहे हैं। बेटी मीनल
ने स्वर्णपदक प्राप्त करके परिवार का नाम रोशन किया है। मीनल ने हाल ही में एडूहिल फाउंडेशन द्वारा दिल्ली में विभिन्न विषयों गणित, विज्ञान, अंग्रेजी सहित अन्य विषयों के लिए प्रतिभाशाली बच्चों का ओलंपियाड में भाग लिया था।
जिसमें उसने मैथ्स में गोल्ड जीता।
9 वर्षीय मीनल राजपुरोहित बताती है कि पिता से प्रेणा लेकर उन्होंने कड़ी मेहनत की। पिता भी हमेशा उन्हें बेटे की तरह मानते हैं। मेहनत का ही नतीजा रहा कि दिल्ली में आयोजित
ओलंपियाड में परीक्षा दी और प्रथम स्थान प्राप्त किया।
मीनल वर्तमान में पिता के साथ महाराष्ट्र में है। जहां पिता का
व्यापार है। पिता राकेश बताते हैं कि तत्कालीन परिस्थितियों के कारण वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाए।
वे दसवीं तक पढ़े है। उन्होंने अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा प्रदान करवाने की ठान रखी है। इसके साथ ही वे अब लोगों को भी प्रेरित कर रहे है कि शिक्षा के बिना भविष्य सुधर नहीं
सकता है।
इसके अलावा गोल्ड जीतने के बाद मीनल ने भी खुशी जताई और सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया। पिता का कहना है कि मीनल को आगे पढ़ाई करने और
प्रतियोगिताओं में शामिल होने में परेशानी नहीं हो इसका ध्यान रखा जा रहा है। मीनल की इस उपलब्धि
पर परिवार सहित आसपास के लोगों ने प्रसन्नता जताई।
पिता राकेश सिंह दसवीं कक्षा तक ही पढ़े-लिखे हैं, गांव और देश में बेटियों को अच्छी शिक्षा मिले इसलिए लोगों को भी कर रहे हैं प्रेरित परिवार से मिली प्रेरणा तो गांव को भी मिली नई सीख मीनल के पिता राकेश बताते हैं की एक बार वे गांव आए तो उनके रिश्तेदार बलदेव सिंह मिले। उन्होंने उन्हें बेटे और बेटियों के बारे में पूछा।
फिर उन्होंने हौसला देते हुए कहा कि बेटियां ही बेटे होते हैं। इसी दौरान उन्होंने बताया कि गांव में बेटियों की शिक्षा पर बहुत कम जोर दिया जा रहा है। आठवीं तक की पढ़ाई करवा
रहे हैं। इसी दौरान उन्होंने बताया कि वह अपने पोते की बहू को 10वीं से शिक्षा शुरू करवा कर कॉलेज स्तर तक नियमित रूप से अध्ययन करवा रहे हैं। बहू शिक्षिका बनकर गांव के बच्चों को पढ़ाएगी। जिससे शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी पीछे नहीं रहे। गांव के बेटियों को और बहुओं को शिक्षित बनाना है यदि बेटियां और बहुएं शिक्षित होंगी तो गांव का हर बच्चा उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाएगा।
मीनल की इस सफलता पर भोपाल सिंह, गणपत सिंह, जोरावर सिंह, विक्रम सिंह, प्रोफ़ेसर ओम प्रकाश, नरपत सिंह, देवी सिंह, नरेंद्र सिंह, गंगा सिंह ने खुशी जाहिर की है। इसके अलावा गांव में भी शिक्षा को लेकर अलग सोच उत्पन्नहोने लगी है क्योंकि पहले बहुत ही कम बालिकाएं शिक्षा के लिए आगे बढ़ पाती थी। शुरू से ही होनहार, इसलिए परिवार ने
भी किया मीनल का पूरा सहयोग किया।
मीनल की प्रतिभा को देखकर परिवार ने भी सहयोग करना शुरू किया। कुछ साल पहले ही परिवार को उसकी प्रतिभा दिखने लगी। उसके दिमाग के विकास और गणित में उसकी रूचि को देखकर परिजनों ने उसको आगे बढ़ाया। उसको प्रोत्साहित किया और हर स्तर पर उसके सहयोग के लिए तैयार रहने लगे।
इसके अलावा दूसरे रिश्तेदार भी गणित को लेकर मीनल का सहयोग करने लगे। अब हर कोई मीनल के दिमाग की तारीफ करता है। छोटी उम्र में ऐसी प्रतियोगिता जीत कर मीनल ने बड़ा नाम कमाया है। परिवार में भी अब मीनल को आगे पढ़ा कर उच्च शिक्षा दिलाने के लिए शिक्षा के अच्छे प्रतिष्ठानों में एडमिशन करवाने के प्रयास भी कर रहे है। गांव में भी मीनल की तारीफ है। अन्य बालिकाएं भी मीनल की सफलता को देखकर अपने गांव में पढ़ाई के लिए प्रेरित हो रही है l
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सवाई सिंह राजपुरोहित मीडिया प्रभारी सुगना फाउंडेशन - मेघलासिया व आरोग्यश्री समिति 09286464911
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nice post thanks sir for great information .
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