राजपुरोहित नामा -एक काली किताब
लेखक - श्री हितेश राजपुरोहित
इस किताब के लिये मेरे जैसे सैकड़ों बन्धु प्रतीक्षा में थे जिसकी प्रतीक्षा 2012 से लेकर अब 2019 में पूरी हुई ।
पुस्तक के नाम राजपुरोहित नामा -एक काली किताब से ही पढ़ने की उत्सुकता ज्यादा थी कि ऐसा इस पुस्तक में क्या है जो इसको काली किताब नाम दिया गया है । हालांकि इस किताब का फर्स्ट बार नाम मैंने फेसबुक पर सुना था हालांकि मेरे मन में भी विचार था आखिर इस बुक में है क्या ऐसा जिसके लिए इस पुस्तक का नाम राजपुरोहित नामा एक काली किताब रखा गया है हालांकि अब यह किताब मैंने पढ़ी है और वाकई मुझे लगा कि इस किताब के जो तथ्य दिए गए हैं वह काफी हद तक सही है कुछ जानकारी को अगर छोड़ दिया जाए तो वाकई लेखक ने बहुत मेहनत की है इस किताब को लिखने में यह किताब सच्ची और विचित्र घटनाओं पर आधारित है........ सवाई सिंह राजपुरोहित
इस पुस्तक को लेखक ने तीन अनुकर्मो में लिखा है ,
1850 से 1975 भूतकाल के रूप में , 1975 से 2018 वर्तमान काल के रूप में और 2020 से 2050 भविष्य काल के रूप में...
इसके साथ ही जानते हैं लेखक द्वारा लिखी गई कुछ अन्य किताबों के बारे में
लेखक हितेश राजपुरोहित साँथू द्वारा लिखी गई यह किताब "वंस अपॉन ए टाइम इन जालौर" जो कि स्टूडेंट सुसाइड पर आधारित बुक है जिसमें दो दोस्तों के सुसाइड करने के असफल प्रयास को बड़े ही बारीकियों से बयां किया गया है इस किताब में यह किताब लंदन की वर्ल्ड सुसाइड ऑर्गनाइजेशन द्वारा मंगाई दी गई थी।
इसके साथ ही दूसरी पुस्तक है "ट्रेन टू बैंगलोर" यह भी सो साइट पर आधारित है नौकरी करने वाला मध्यवर्गीय परिवार का लड़का जो कि लोगों से दिए गए गांव से परेशान होकर सुसाइड करने का असफल प्रयास करता है यह तीन बहनों के एक भाई की सच्ची कहानियों पर आधारित है यह किताब।
तीसरी पुस्तक है कावरिया कीर (Kavariya Keer) एक राजस्थानी लड़की की कहानी है वह अपनी छोटी सी जिंदगी में सच्चाई और झूठ के बीच लड़ती है और पूरा गांव उसके खिलाफ हो जाता है इसी बीच कावरिया कीर दुनिया छोड़कर चली जाती है इसके साथ ही उनकी अगली पुस्तक आने वाली है why I Am A Girl ( वाई आई एम ए गर्ल्स) ।
हितेश सिंह राजपुरोहित को बहुत-बहुत धन्यवाद की जिन्होंने राजपुरोहित नामा एक काली किताब के जरिए समाज के भूतकाल वर्तमान काल और भविष्य काल को रूबरू कराया जो वाकई बहुत कठिन कार्य किया है आपने पिछले दो-तीन वर्षों से अलग-अलग क्षेत्रों में भ्रमण कर यह जानकारी जुटाई है हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। ........ श्री बिरम सिंह राजपुरोहित संरक्षक सुगना फाउंडेशन
इस किताब के बारे में और अधिक जानकारी और मंगवाने के लिए आप नीचे दिए गए व्हाट्सएप नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
Rajpurohit Naama Ek Kaali Kitab
Price 450
Order on whatapp no.6378386724
लेखक - श्री हितेश राजपुरोहित
इस किताब के लिये मेरे जैसे सैकड़ों बन्धु प्रतीक्षा में थे जिसकी प्रतीक्षा 2012 से लेकर अब 2019 में पूरी हुई ।
पुस्तक के नाम राजपुरोहित नामा -एक काली किताब से ही पढ़ने की उत्सुकता ज्यादा थी कि ऐसा इस पुस्तक में क्या है जो इसको काली किताब नाम दिया गया है । हालांकि इस किताब का फर्स्ट बार नाम मैंने फेसबुक पर सुना था हालांकि मेरे मन में भी विचार था आखिर इस बुक में है क्या ऐसा जिसके लिए इस पुस्तक का नाम राजपुरोहित नामा एक काली किताब रखा गया है हालांकि अब यह किताब मैंने पढ़ी है और वाकई मुझे लगा कि इस किताब के जो तथ्य दिए गए हैं वह काफी हद तक सही है कुछ जानकारी को अगर छोड़ दिया जाए तो वाकई लेखक ने बहुत मेहनत की है इस किताब को लिखने में यह किताब सच्ची और विचित्र घटनाओं पर आधारित है........ सवाई सिंह राजपुरोहित
इस पुस्तक को लेखक ने तीन अनुकर्मो में लिखा है ,
1850 से 1975 भूतकाल के रूप में , 1975 से 2018 वर्तमान काल के रूप में और 2020 से 2050 भविष्य काल के रूप में...
इसके साथ ही जानते हैं लेखक द्वारा लिखी गई कुछ अन्य किताबों के बारे में
लेखक हितेश राजपुरोहित साँथू द्वारा लिखी गई यह किताब "वंस अपॉन ए टाइम इन जालौर" जो कि स्टूडेंट सुसाइड पर आधारित बुक है जिसमें दो दोस्तों के सुसाइड करने के असफल प्रयास को बड़े ही बारीकियों से बयां किया गया है इस किताब में यह किताब लंदन की वर्ल्ड सुसाइड ऑर्गनाइजेशन द्वारा मंगाई दी गई थी।
इसके साथ ही दूसरी पुस्तक है "ट्रेन टू बैंगलोर" यह भी सो साइट पर आधारित है नौकरी करने वाला मध्यवर्गीय परिवार का लड़का जो कि लोगों से दिए गए गांव से परेशान होकर सुसाइड करने का असफल प्रयास करता है यह तीन बहनों के एक भाई की सच्ची कहानियों पर आधारित है यह किताब।
तीसरी पुस्तक है कावरिया कीर (Kavariya Keer) एक राजस्थानी लड़की की कहानी है वह अपनी छोटी सी जिंदगी में सच्चाई और झूठ के बीच लड़ती है और पूरा गांव उसके खिलाफ हो जाता है इसी बीच कावरिया कीर दुनिया छोड़कर चली जाती है इसके साथ ही उनकी अगली पुस्तक आने वाली है why I Am A Girl ( वाई आई एम ए गर्ल्स) ।
हितेश सिंह राजपुरोहित को बहुत-बहुत धन्यवाद की जिन्होंने राजपुरोहित नामा एक काली किताब के जरिए समाज के भूतकाल वर्तमान काल और भविष्य काल को रूबरू कराया जो वाकई बहुत कठिन कार्य किया है आपने पिछले दो-तीन वर्षों से अलग-अलग क्षेत्रों में भ्रमण कर यह जानकारी जुटाई है हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। ........ श्री बिरम सिंह राजपुरोहित संरक्षक सुगना फाउंडेशन
इस किताब के बारे में और अधिक जानकारी और मंगवाने के लिए आप नीचे दिए गए व्हाट्सएप नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
Rajpurohit Naama Ek Kaali Kitab
Price 450
Order on whatapp no.6378386724
प्रिय भाई हितेश जी,
ReplyDeleteआपकी किताब *राजपुरोहित नामा* पढ़ी जिसको पढ़ने के लिए वाकई बहुत उतावला था. इस किताब के बारे मे इतना ही कहूँगा कि यह किताब वर्तमान के युवाओं तथा भविष्य के लिए मार्गदर्शक ओर समाज मन को भावनात्मक बंध से जोड़ने का कार्य यह किताब जरूर करेगी. इस किताब की कुछ कहानियां वाकई दिलो दिमाग में सोचने पर मजबूर कर देती है.
( मर्द नामा, बाजूबंद नामा, टिफिन नामा, रज्जपुरोहित नामा, दहेज नामा, नशा नामा, भाता नामा, होनू पिया रजाई नामा, etc. )
कुछ कहानियां अपने पूर्वजों की तथा उनके वक्त ओर हालातों से रूबरू होने का अनुभव करवाती है तो कुछ कहानियां बीते हालातों की वजह से आँख मे आसू दिलाती है. *देशावर नामा - के बारे मे इतना ही कहूँगा की आज समाज इतनी विशाल रूप से पूरे विश्व में स्थानांतरित है यह कहानी उसका अंग जरूर होगी. अपने अतीत से कुछ सीखने के लिए यह किताब वास्तविक रूप से मार्गदर्शक तो है लेकीन भविष्य मे होने वाले नुकसान से भी साझा करवाती है.
कुछ कहानियां अपने आप मे राजपुरोहित होने का गर्व महसूस करवाती है (करती अंगीया).
*इस किताब के लिए मे आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हू, एक लेखक के रूप मे आपका यह प्रयास वाकेही काबिले तारीफ़ है.....!!!*
- Adv DipendraSinh Rajpurohit. ������������
Bahut hi badiya sandar ye kitab hy jo bhi pade or shmje wasto me tarif krne ke layek hai ye kitab
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