मातृषक्ति द्वारा गोमहिमा मंगल गीतों की स्वर लहरियां तथा प्रत्यक्ष गोसेवा के दृष्य आलौकिक लगते हैं!
संतवृदों ने पूरे विष्व में वेदलक्षणा गोमाता के प्रति आयी जन-जन जागृति का श्रेय पथमेडा गोधाम को दिया!
सांचोर,09 अप्रैल। गोनवरात्रि महोत्सव के चैथे दिन गुजरात से बडी संख्या में गोभक्त नर-नारी एवं बच्चों ने गोधाम महातीर्थ आनंदवन पथमेडा पहुंचकर विभिन्न अनुश्ठानों में भाग लिया। गोमहिमा कथा, श्रीराम रक्षा स्तोत्र,अखंड नामजप संकीर्तन गोपरिक्रमा एवं श्रीरामचरित मानस नवान्ह परायण सभी आयोजनों में श्रद्धालुओं का भारी उत्साह रहा। मुख्य पंडाल में गोवत्स-गोवत्सा विवाहोत्सव’ धुमधाम से सम्पन्न तथा परम गोवत्स कथाकार श्री विटठलकृश्ण ‘‘विटठलश्री’’ ने मंचीय आयोजनों के पूर्व गोमहिमा संदेष देते हुए संचालन किया।
उपरोक्त जानकारी देते हुए श्री गोधाम महातीर्थ पथमेडा के राश्ट्रीय प्रवक्ता पूनम राजपुरोहित ‘‘मानवताधर्मी’’ ने बताया कि गोनवरात्रि महोत्सव के चैथे दिन भी गोसेवकों-गोभक्तों ने समस्त धार्मिक-आध्यात्मिक अनुश्ठानों में बढ-चढकर लिया भाग लिया। विषाल गोषाला परिसर में मातृ षक्ति समूहों के द्वारा गोमहिमा भरे मंगल गीतों की स्वर लहरियों तथा जगह-जगह उत्साह भावना से प्रत्यक्ष गोसेवा करते गोसेवकों के दृष्य आलौकिक लगते हैं। श्री गिरधर गोपाल षास्त्रीजी की मधुर वाणी में रामचरितमानस के संगीतमय वाचन के समय उपस्थित श्रोतागण भाव-विभोर हो उठते हैं। गोरक्षक हनुमान मंदिर में दानों समय चल रहे श्रीराम रक्षा स्तोत्र का प्रतिदिन सहस्त्रार्चन जारी है। पंच गोमाता मंदिर में विजय मंत्र के साथ गोपरिक्रमा करते हुए अखंड संकीर्तन चोबीसों घंटे जारी है।
गाय से ही मानव जीवन,प्रकृति तथा पर्यावरण का रहना संभवः -गोऋशि स्वामी श्री दत्तषरणानंदजी महाराज
गुजरात से आये सैंकडों श्रद्धालुओं के विषेश आग्रह पर दोपहर कथा षुभारम्भ से पूर्व समस्त देष के गोसेवकों के प्रेरणा महापुरूश गोऋशि स्वामी श्री दत्तषरणानंदजी महाराज ने आषीवर्चन देते हुए कहा कि ‘वेदलक्षणा गाय का पालन करने का अर्थ है कि हम अपने आपका,अपने परिवार का,अपने समाज का,अपने राश्ट्र का और पूरी प्रकृति का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गाय के बिना अघ्यात्म,धर्म,विज्ञान और व्यवहार के किसी भी मापदंड पर मानव जीवन,प्रकृति तथा पर्यावरण के जीवन के बारे में सोचना भी आधारहीन है। गाय रहेगी तब तक ही मानव जीवन,प्रकृति तथा पर्यावरण का रहना संभव है।’
गासेवा-गोरक्षा के पूर्ण लक्ष्य की प्राप्ति में पुरा सनातन एकजुट हों: -श्री रामप्रवेषदास महाराज
आध वाराहपीठ वृंदावन वाले श्री रामप्रवेषदासज्ी महाराज ने व्यासपीठ से गोकथा के दौरान ओजस्वी भाव से गोसेवा-गोरक्षा का संकल्प करवाते हुए कहा कि वर्तमान में देष व विष्व में वेदलक्षणा गोमाता के प्रति जन-जागृति देखी जा रही है,उसका पूरा श्रेय श्री गोधाम पथमेडा को जाता है। उन्होंने कहा कि समस्त सनातन धर्मावलम्बियों का कर्तव्य है कि इस महान रचनात्मक मानव जाति के लिए कल्याणकारी आन्दोलन में एकजुट होकर गासेवा-गोरक्षा के पूर्ण लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोग करें।
News /प्रस्तुतिBY:- श्री कामधेनु गो-अधिकार न्यूज एंड फीचर्स सर्विस!
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संतवृदों ने पूरे विष्व में वेदलक्षणा गोमाता के प्रति आयी जन-जन जागृति का श्रेय पथमेडा गोधाम को दिया!
सांचोर,09 अप्रैल। गोनवरात्रि महोत्सव के चैथे दिन गुजरात से बडी संख्या में गोभक्त नर-नारी एवं बच्चों ने गोधाम महातीर्थ आनंदवन पथमेडा पहुंचकर विभिन्न अनुश्ठानों में भाग लिया। गोमहिमा कथा, श्रीराम रक्षा स्तोत्र,अखंड नामजप संकीर्तन गोपरिक्रमा एवं श्रीरामचरित मानस नवान्ह परायण सभी आयोजनों में श्रद्धालुओं का भारी उत्साह रहा। मुख्य पंडाल में गोवत्स-गोवत्सा विवाहोत्सव’ धुमधाम से सम्पन्न तथा परम गोवत्स कथाकार श्री विटठलकृश्ण ‘‘विटठलश्री’’ ने मंचीय आयोजनों के पूर्व गोमहिमा संदेष देते हुए संचालन किया।
उपरोक्त जानकारी देते हुए श्री गोधाम महातीर्थ पथमेडा के राश्ट्रीय प्रवक्ता पूनम राजपुरोहित ‘‘मानवताधर्मी’’ ने बताया कि गोनवरात्रि महोत्सव के चैथे दिन भी गोसेवकों-गोभक्तों ने समस्त धार्मिक-आध्यात्मिक अनुश्ठानों में बढ-चढकर लिया भाग लिया। विषाल गोषाला परिसर में मातृ षक्ति समूहों के द्वारा गोमहिमा भरे मंगल गीतों की स्वर लहरियों तथा जगह-जगह उत्साह भावना से प्रत्यक्ष गोसेवा करते गोसेवकों के दृष्य आलौकिक लगते हैं। श्री गिरधर गोपाल षास्त्रीजी की मधुर वाणी में रामचरितमानस के संगीतमय वाचन के समय उपस्थित श्रोतागण भाव-विभोर हो उठते हैं। गोरक्षक हनुमान मंदिर में दानों समय चल रहे श्रीराम रक्षा स्तोत्र का प्रतिदिन सहस्त्रार्चन जारी है। पंच गोमाता मंदिर में विजय मंत्र के साथ गोपरिक्रमा करते हुए अखंड संकीर्तन चोबीसों घंटे जारी है।
गाय से ही मानव जीवन,प्रकृति तथा पर्यावरण का रहना संभवः -गोऋशि स्वामी श्री दत्तषरणानंदजी महाराज
गुजरात से आये सैंकडों श्रद्धालुओं के विषेश आग्रह पर दोपहर कथा षुभारम्भ से पूर्व समस्त देष के गोसेवकों के प्रेरणा महापुरूश गोऋशि स्वामी श्री दत्तषरणानंदजी महाराज ने आषीवर्चन देते हुए कहा कि ‘वेदलक्षणा गाय का पालन करने का अर्थ है कि हम अपने आपका,अपने परिवार का,अपने समाज का,अपने राश्ट्र का और पूरी प्रकृति का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गाय के बिना अघ्यात्म,धर्म,विज्ञान और व्यवहार के किसी भी मापदंड पर मानव जीवन,प्रकृति तथा पर्यावरण के जीवन के बारे में सोचना भी आधारहीन है। गाय रहेगी तब तक ही मानव जीवन,प्रकृति तथा पर्यावरण का रहना संभव है।’
गासेवा-गोरक्षा के पूर्ण लक्ष्य की प्राप्ति में पुरा सनातन एकजुट हों: -श्री रामप्रवेषदास महाराज
आध वाराहपीठ वृंदावन वाले श्री रामप्रवेषदासज्ी महाराज ने व्यासपीठ से गोकथा के दौरान ओजस्वी भाव से गोसेवा-गोरक्षा का संकल्प करवाते हुए कहा कि वर्तमान में देष व विष्व में वेदलक्षणा गोमाता के प्रति जन-जागृति देखी जा रही है,उसका पूरा श्रेय श्री गोधाम पथमेडा को जाता है। उन्होंने कहा कि समस्त सनातन धर्मावलम्बियों का कर्तव्य है कि इस महान रचनात्मक मानव जाति के लिए कल्याणकारी आन्दोलन में एकजुट होकर गासेवा-गोरक्षा के पूर्ण लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोग करें।
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