2.4.13

आओ भक्तोँ आज सुनाऊँ गाथा मेरे दाता की ...श्री नरपत सिंह राजपुरोहित



आओ भक्तोँ आज सुनाऊँ गाथा मेरे दाता की ,
ब्रह्माअवतार से जन्मे उस विधाता की ,
खेतेश्वर दाता नाम उनका, मुकुन्द की है सवारी ,
प्रेम से बोलो प्यार से बोलो बोलो जय दाता री ।।
....
शेरसिँह के घर जन्मे , थे भजनो के शौकीन ,
बैल चराने जाते साँई की बैरी, रहते भजनोँ मेँ ही लीन ,
सगाई के संग को बहन बनाया ओढा चुनरी तारा री ,
प्रेम से बोलो प्यार से बोलो बोलो जय दाता री ।।
.....
ब्रह्मज्ञान के तप को जाना 
समाज को सर्वोच्च माना ,
हुए ब्रह्मभक्ति मे लीन 
बन के ब्रह्मचारी,
प्रेम से बोलो प्यार से बोलो बोलो जय दाता री ।।
.....
सावित्री के श्राप को किया धराशायी ,
आसोतरा पवित्र भुमि पर ब्रह्मधाम बनायी ,
ब्रह्माअवतार दाता आपने समाज राजपुरोहित सुधारी ,
प्रेम से बोलो प्यार से बोलो बोलो जय दाता री ।।
.....
ब्रह्मलीन हुए आप, पूरी समाज वहाँ पधारी ,
पथ के राही बन के तुलसाराम जी गादी संवारी ,
जग मे अमर नाम दाता 
तुलसाराम जी भक्ति संभाली दाता री ,
प्रेम से बोलो प्यार से बोलो बोलो जय दाता री ।।
......
जो मन से दाता को ध्यावे ,
मनवाँछित फल पावे ,
राखो इण अज्ञानी पर नजर ,
मै भी समाज का बनु ''हमसफर'' ,
चरणों का सेवक मैँ भी दाता ,
नरपत नाम पुजारी ,
प्रेम से बोलो प्यार से बोलो बोलो जय दाता री ।।
जय दाता री सा ।


भेजने वाले  श्री नरपत सिंह राजपुरोहितजी

 हमसफर 



  प्रस्तुतकर्ता :- 
सवाई सिंह राजपुरोहित आगरा 
{सदस्य}
सुगना फाऊंडेशन-मेघलासिया जोधपुर
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हमारा ई-मेल पता है :- sawaisinghraj007@gmail.com


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1 comment:

  1. जय दाता री सा
    नरपत सिंगाह्जी और भाई सवाई सा ने
    ...........................................गुरूजी है म्हारे, हिवडे रा हार, सरल स्वभावी ऐ तो, ज्ञान का भण्डार
    व्यसन मुक्ति से पढावे ए तो पाठ, गुरूजी रो नाम लियां होसी बेडो पार।।
    .........................
    पुरोहित मुकेश दुदावत रोपसी

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