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19.5.13
आप सभी सादर भाव भरा आमंत्रित हैं!
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यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर(Join this site)अवश्य बने. साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ.
यहां तक आने के लिये सधन्यवाद.... आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
धार(मध्यप्रदेश) में आयोजित चक्रवर्ती सम्राट महाराजा भोज सहत्राब्धि राज्यरोहण महोत्सव-2013 की झलकियाँ .. इस कार्क्रम का आयोजन राजा भोज के वंशजों ने (परमार राजाओं के वंशजों ने) किया था..इसमें गुजरात एवं राजस्थान के राजा-महाराजा और किलेदारों में भारी संख्या में भाग लिया...
स्थान--सरस्वती शिशु मंदिर प्रांगन,धार,मध्यप्रदेश.. दिनांक--08 जून,2013 , शनिवार,
विषय-ज्योतिष-वास्तु विज्ञानं का खगोलिय अंतरसंबंध...
भाग लेने वाले विद्वान् गण --
राज ज्योतिषी पंडित बाबूलाल जी जोशी ,रतलाम, प्रोफेसर सुरेश्वर शर्मा जी,पूर्व कुलपति, रानी दुर्गावती विश्व विद्यालय,जबलपुर,मध्यप्रदेश, श्री विजय मनोहर तिवारी,भोपाल, श्यामसिंह ठाकुर,भोपाल, महताजा श्री रघुवीर सिंह जी,सिरोही,राजस्थान, राव रंद्र्विर सिंह जी,बिजोलिया ,मेवाड़ ,राजस्थान, पंडित दयानंद शात्री ,झालरापाटन /हरिद्वार , बोहरे महेश प्रसाद शर्मा,राधोघाद,गुना,मध्यप्रदेश, डाक्टर देशराज सिंह,आजमगढ़,उत्तरप्रदेश, डाक्टर एस.के.पाण्डेय ,इन्दोर , डाक्टर नन्द किशोर पुरोहित,बीकानेर (राजस्थान)
पंडित जगत नारायण जी जोशी,इन्दोर, http://www.facebook.com/vastu.adviser/media_set?set=a.574638302579130.1073741831.100000988963332&type=3
बहुत जिए गम अब ज़िन्दगी को आज़माएँ हम आओ ज़रा इन अश्कों को आज रुलाएँ "विशाल" हम आवारगी से क्या हासिल ज़रा पूछो मजनू से आओ किसी दिल में कहीं एक घर बनाएँ हम आओ उतारें नकाब चाँद के हसीं चेहरे से आज चांदनी को हांथों से अरमानो के सजाएँ हम खुदा देखना ख्वाब हैं टूट न जाएँ कहीं मेरे संभालना शीशे के हैं सारे जब सो जाएँ "विशाल" हम हो ऐसी ही खामोशियाँ यही तन्हाइयां भी ज़रा साथ एक ग़ज़ल सा चेहरा और गुनगुनाएं हम बेखुदी हो बरसती हुई शबनम की तरह वहाँ जाएँ कहीं कोई राह हो उन्ही से मिल आएँ "विशाल" हम बातें शहद हों ज़रा गुड सा उनका हो ज़ायका जब याद आएँ वो ज़बान पर चटकता उन्हें पाएँ हम यूं तो हैं खवाहिशें बहुत क्या कहें और क्या न ग़ज़ल हैं अफसाना नहीं सुनोगे कितना सुनाएँ हम शायद फिर बहक रही हूँ मैं माफ़ कीजिये हुजुर दिल का मचलना हैं इसमें रवानगी "विशाल" कहाँ लाएँ हम क़सम देकर बस अब थाम ले कोई पैमाने मेरे कहे वही पीजिये जो आँखों से अब पिलाएँ हम बहुत नाउम्मीदियों से घिरा उम्मीदों का चराग आओ "विशाल" ज़रा हौसलों से तारीकियों को जलाएँ हम....
आप का अपना --- ----पंडित दयानन्द शास्त्री"विशाल" Mob.----09024390067...
जे राम जी की हुकम..खम्मा घनी सा... शुभ सुप्रभात..आदाब..नमस्कार..सत श्रीअकाल...!! केसे हें आप लोग..??? आप सभी स्वस्थ रहें..मस्त रहें..और व्यस्त रहें..यही दुआ और कमाना हें... आप का अपना --- ----पंडित दयानन्द शास्त्री"विशाल" Mob.----09024390067...
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धार(मध्यप्रदेश) में आयोजित चक्रवर्ती सम्राट महाराजा भोज सहत्राब्धि राज्यरोहण महोत्सव-2013 की झलकियाँ ..
ReplyDeleteइस कार्क्रम का आयोजन राजा भोज के वंशजों ने (परमार राजाओं के वंशजों ने) किया था..इसमें गुजरात एवं राजस्थान के राजा-महाराजा और किलेदारों में भारी संख्या में भाग लिया...
स्थान--सरस्वती शिशु मंदिर प्रांगन,धार,मध्यप्रदेश..
दिनांक--08 जून,2013 , शनिवार,
विषय-ज्योतिष-वास्तु विज्ञानं का खगोलिय अंतरसंबंध...
भाग लेने वाले विद्वान् गण --
राज ज्योतिषी पंडित बाबूलाल जी जोशी ,रतलाम,
प्रोफेसर सुरेश्वर शर्मा जी,पूर्व कुलपति, रानी दुर्गावती विश्व विद्यालय,जबलपुर,मध्यप्रदेश,
श्री विजय मनोहर तिवारी,भोपाल, श्यामसिंह ठाकुर,भोपाल,
महताजा श्री रघुवीर सिंह जी,सिरोही,राजस्थान,
राव रंद्र्विर सिंह जी,बिजोलिया ,मेवाड़ ,राजस्थान,
पंडित दयानंद शात्री ,झालरापाटन /हरिद्वार ,
बोहरे महेश प्रसाद शर्मा,राधोघाद,गुना,मध्यप्रदेश,
डाक्टर देशराज सिंह,आजमगढ़,उत्तरप्रदेश,
डाक्टर एस.के.पाण्डेय ,इन्दोर ,
डाक्टर नन्द किशोर पुरोहित,बीकानेर (राजस्थान)
पंडित जगत नारायण जी जोशी,इन्दोर,
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*** उम्मीद जगाएं हम ****
ReplyDeleteबहुत जिए गम अब ज़िन्दगी को आज़माएँ हम
आओ ज़रा इन अश्कों को आज रुलाएँ "विशाल" हम
आवारगी से क्या हासिल ज़रा पूछो मजनू से
आओ किसी दिल में कहीं एक घर बनाएँ हम
आओ उतारें नकाब चाँद के हसीं चेहरे से आज
चांदनी को हांथों से अरमानो के सजाएँ हम
खुदा देखना ख्वाब हैं टूट न जाएँ कहीं मेरे
संभालना शीशे के हैं सारे जब सो जाएँ "विशाल" हम
हो ऐसी ही खामोशियाँ यही तन्हाइयां भी ज़रा
साथ एक ग़ज़ल सा चेहरा और गुनगुनाएं हम
बेखुदी हो बरसती हुई शबनम की तरह वहाँ
जाएँ कहीं कोई राह हो उन्ही से मिल आएँ "विशाल" हम
बातें शहद हों ज़रा गुड सा उनका हो ज़ायका
जब याद आएँ वो ज़बान पर चटकता उन्हें पाएँ हम
यूं तो हैं खवाहिशें बहुत क्या कहें और क्या न
ग़ज़ल हैं अफसाना नहीं सुनोगे कितना सुनाएँ हम
शायद फिर बहक रही हूँ मैं माफ़ कीजिये हुजुर
दिल का मचलना हैं इसमें रवानगी "विशाल" कहाँ लाएँ हम
क़सम देकर बस अब थाम ले कोई पैमाने मेरे
कहे वही पीजिये जो आँखों से अब पिलाएँ हम
बहुत नाउम्मीदियों से घिरा उम्मीदों का चराग
आओ "विशाल" ज़रा हौसलों से तारीकियों को जलाएँ हम....
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जे राम जी की हुकम..खम्मा घनी सा...
ReplyDeleteशुभ सुप्रभात..आदाब..नमस्कार..सत श्रीअकाल...!!
केसे हें आप लोग..???
आप सभी स्वस्थ रहें..मस्त रहें..और व्यस्त रहें..यही दुआ और कमाना हें...
आप का अपना ---
----पंडित दयानन्द शास्त्री"विशाल"
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राधे राधे श्री पंडित दयानन्द शास्त्री जी
Delete**जय जय श्री राधे**
ReplyDelete------- " madhurashtrakam....
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं !
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं !!
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं !
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं !!
वेनेर्मधुरो रेनेर्मधुरम पानिर्मधुरम पादों मधुरो !
न्रित्यम मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं !!
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं !
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं !!
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरनाम मधुरं सुप्तं मधुरं !
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं !!
गुंजा मधुरं माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा !
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं !!
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं !
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं !!
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा !
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं !!
सुन्दर रचना
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