11.8.14

जागीरदार (Rajpurohit)

 घणी दूर स्यूं आया परदेसी, 
टाबर देखण ने . 
मन मै घणो उच्छाव, 
आया बै 
छोरी देवण ने. 
गाँव बीचाळै मौटर ढबगी, 
हैटा उतरीया आया. 
सामी जागीरदार टकराया, 
हाल पुछीया जाय. 
रामा सामा करीया मौकळा, 
पुछी बै खुशीयाळी. 
नाम गाँव सब पुछया वारा, 
किन घर जास्यो सांई. 
नाम बतायो गाँव बतायो, 
राजी खुशी हाला. 
फलाण सिंह घर जाणो म्हानै, 
टाबरीयो देखाला. 
घर पधारीया परदेशी, 
मन बहोत घणो हरसायो. 
लाडा कोडा करी खातरी, 
घणो हैत बरसायो. 
चारू मैर जूडी हताया, 
जागीरदार करै मनवारा. 
अमल गाळीयो 5 भरी रो, 
सगळो थां पर वारा. 
करता करता मनवारा, 
आंरै जागी फैर कुटयाळी. 
म्हारै घरै थे चालो, 
थोङी करस्या फैर हतायी. 
घर ल्याय बै बोलण लाग्या, 
आरो टाबर माङो. 
परदेशा में चोरी जारी, 
करतो फिरै कबाङो. 
नशा पता घणा करै, 
कोई छोड्या बाकि कोनी. 
म्हारो टाबर देखो प्यारा, 
क्यारी कमी कोनी. 
सगळा में सवायो लागै, 
बाता चालै न्यारी. 
रीपीया री ओ पाळ बांध दी, 
भरगी आज भखारी. 
दूजा जागीरदार आग्या, 
बोली मीठी वाणी. 
घर पधारो सीरदारा, 
थोङी पीस्या चाय पाणी. 
घर ल्याय बतावण लाग्या, 
टाबर देखो म्हारो. 
ओ टाबरीयो चोखो कोनी, 
कोनी हुव गुजारो. 
ए बस कोरी फांफां मारै, 
इरी संगत कोजी. 
म्हारो टाबर घणो फुटरो, 
अबकाळ बणसी फोजी. 
तीजा जागीरदार पधारीया, 
अमल गाळस्या चालो. 
म्हारी पौळी आऔ जागीरदारा, 
अठै काम करो थै काळो. 
खातीदारी घणी करी बै, 
बोल्या बोल सुहाणा. 
आरो टाबर ठालो बैठीयो, 
रोज बुलावै थाणा. 
म्हारै छोरै सामी देखो, 
चालघाट सबसे नाकै. 
आसै पासै कोनी इस्यो, 
सगळा साधन म्हाकै. 
कुंटा कुंटा फिरीया बापङा, 
होग्या चैता चूक. 
सुण सुण बाताजागीरदारा री, 
घर घर गया बै थूक. 
देख थळी रा बळदा नै, 
ऐ पंरसगीं पछताया. 
ओज्यू आवा राम दूहायी, 
बळगी थारी माया. 
देख्यो थारो मैल मुलायजो, 
देखी आज हथाई. 
खेतेश्वर री कोम देखल्यो, 
बैरी भाई भाई. 
पैली तो ए कोख उजाङै, 
फैर बीनणी भावै. 
हाथा करीया कर्म लाडला, 
किनै दौस लडावै. 
ओ मेहरी आळे राजपुरोहित, 
सोच सोच मुसकायो. 
ना सोची खेतेश्वर दाता, 
ओ दिन किस्यो आयो. 
अनुरोध करे अरदास प्रभु, 
थोङी आ मीनखां नै देयी. 
ठोङ ठोङ ए फिरै रोवंता, 
तु सुद्ध 
आ री लेयी..

            साभार 

श्री बलवन्त सिंह राजपुरोहित राजगुरू कोलासर

3 comments:

  1. 🌞ROYAL RAJPUROHIT SAMAJ GROUP 🌞

    सभी राजपुरोहित बंधुओं को जय श्री रघुनाथजी री सा, जय श्री खेतेश्वर दाता री सा...
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