पुरस्कार और सम्मान तो देश-प्रदेश में न जाने कितने मिलें हैं और आगे भी मिल सकते हैं, पर अपनी धरती, अपने लोग और अपनों की आत्मीयता से भरपूर सम्मान का आनन्द ही कुछ अलग होता है । मन भीग-भीग जाता है... दिल में जैसे कुछ पिघलने-बहने लगता है । श्रीडूंगरगढ पुस्तकालय की कौस्तुभ जयंती के अवसर पर इसी मिट्टी से जुड़े साहित्यकार श्री #रवि पुरोहित ,श्री श्याम महर्षि, श्री मालचंद तिवाड़ी, डॉ. मदन सैनी,डॉ. चेतन स्वामी, रतन राहगीर, सत्यदीप, श्रीभगवान सैनी का सम्मान-अभिनन्दन किया गया ।
आभार श्रीडूंगरगढ पुस्तकालय परिवार
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