आदरणीय श्री राजपुरोहित समाज बंधुओं🙏
सादर जय श्री रघुनाथ जी री सा की 👏
हमारे समाज में अपने नाम के साथ "सिंह" की पदवी लगाना निस्संदेह गौरव की अनुभूति कराता है पर अधिकतर जागीदार बंधु इसके इतिहास से अनभिज्ञ हैं ।
हमारे समाज में एक ओर जहाँ पूर्णब्रह्म के दिव्यांशवतार खेतेश्वर भगवान अवतरित हुए हैं वहीं दूसरी ओर आन, बान और शान के प्रतिनिधि,शस्त्र और शास्त्र के ज्ञाता परम वीर योद्धा श्री प्रताप सिंह जी सेवड़ 'मूलराजोत' जैसे महाप्रतापी हुए हैं। राजस्थान के स्वर्णिम इतिहास के उज्ज्वल पृष्ठों में गिरी सुमेल ( जैतारण के निकट एक विख्यात पहाड़ी रणस्थली) के युद्ध का वर्णन है।
यहाँ मारवाड़ के प्रसिद्ध राजा मालदेव राव तथा दिल्ली के बादशाह शेरशाह सूरी की सेनाओं के बीच संवत 1600 में पौष शुक्ला एकादशी के दिन भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में मालदेव राव के विश्वासपात्र, रणवीर कुशल सेनापति - राजपुरोहित कुल शिरोमणी श्री प्रतापसिंह जी ने अपने मातृभक्त स्वाभिमानी 1500 घुड़सवार सैनिको के साथ अपनी मातृभूमि के गौरव को अक्षुण्ण बनाये रखते हुए मारवाड़ की सेना का कुशल नेतृत्व किया।
अपने अदम्य साहस और रणकौशल से उन्होंने शेरशाह की सेना को लोहे के चने चबाने के लिए मजबूर कर छठी का दूध याद दिला दिया। कालांतर में बादशाह को यह कहना पड़ा कि 'मुट्ठीभर बाजरे के लिए मैं अपनी हुकूमत खो बैठता।'
राष्ट्रप्रेम और स्वाभिमान की प्रतिमूर्ति श्री प्रताप सिंह जी इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए।
प्रताप सिंह जी की मातृभूमि की रक्षार्थ बलिदानी को नमन करते हुए मालदेव जी ने उन्हें "सिंह" की पदवी से अलंकृत किया।
सिंह तणी पदवी समेल,
रण दी मालो राव।
सिंह प्रोहित परताप,
रण उबारिया राव ।।
तब से इस पदवी को वंशपरंपरा से सभी राजपुरोहित वरण करते आ रहे हैं ।
उन महाप्रतापी श्री प्रताप सिंह जी की शहीदी पुण्यतिथि आज 8 जनवरी को है।
अतः आप समस्त राजपुरोहित बंधुओ से सादर निवेदन है कि इस दिन अपने अपने गांव शहर क्षेत्र में सामूहिक रूप से पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा के साथ श्रद्धांजलि सभा आयोजित करावें और श्रद्धा सुमन अर्पित करें।
जानकारी भेजने वाले
श्री बलवंत सिहं राजपुरोहित (बन्ना कोलासरीया गुरू)
Whaa hkm kya baat hai koi or jankari Ho to bhaj na.
ReplyDeleteJarur hkm
Deleteबहूत अच्छी जानकारी है हुकम
ReplyDeleteNaman pratap sinh ji ko
ReplyDeleteMe Rajpurohit Brahman hu Jay parsuram
ReplyDeleteWe are Rajpurohit warriors.
Deletegalat he ye bat singh si padhvi partap singh singh ji ke purvj yani 5 pidhi pahle mil chuki he kalyan singh ji ko partap singh ji kesar singh ji ke suputr the to kesar singh ji ke singh kyu lgne laga wo to unse pahle aaye he ye jo kahani he wo galat he or maldev ji ne koi kisiko singh ki padhvi nahi di
ReplyDeletehum bhi inki pidhi se hi he hamse 10 ki pidhi partap singh ji the kuch jaan lo phir likho
yogendra singh rajpurohit
thikana kherapa kot
Kripya kar aap puri jankari uplabdh karave?? U apas mei hi rajpurohito ko nicha dikhake kya sabit karna chahte hai??
Deleteया तो आपके पास कोई सही जानकारी हो तो सांझा करे। किसी को गलत ठहराना उचित नहीं है। ऊपर बताई हुई जानकारी सही हैं। मैनें भी इसकी जानकारी ली हुई है। यह सत्य घटना है। जिसके सबूत सुमेल घाटी में आज भी मौजूद हैं। विशेष जानकारी के लिए श्रीमान अर्जुन सिंह जी पुत्र स्वर्गीय श्री तेज सिंह जी ठिकाना तिंवरी से ले सकते हैं सबूत के साथ। जय सियाराम की
Deleteमेरे पास है
DeleteHi
ReplyDeletebolo
Deleteबढ़ेरो के शौर्य को सिंह की उपाधि मिली। जो वीर है वो सभी सिंह है।
ReplyDeleteमेरे पास बुक का फोटो है
ReplyDeleteसिंह रा राम बनो सिंह में के खानो उदाहरण खेत सिंह जी रा खेताराम जी तुलछाराम जी ध्यानाराम जी
ReplyDeleteसबसू बड़ो राम रो नाम हैं भाईयो
वडेरा पहला दुश्मनो लुटेरों मुगलों और जंगली जानवरों से लड़ते थे जैसे शेरो से लड़ाई करते थे अब तो बिल्ली कुतो से भी डरते है और पहलेबाहरी आक्रांताओं से लड़ते थे अब सगे भाइयों संबंधियों पड़ोसियों एवम् सम्माज से लड़ते हैं और एक दूजे की टाग खिंचाई करते हैं
ReplyDeleteजय दाता री सा