6.6.18

राजपुरोहित ने ग्रीन चेहरा ग्रीन कपडे पहनकर पर्यावरण जागरूकता रैली निकाली

विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी। इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था। 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।

    ग्रीन चेहरा ग्रीन कपडे पहनकर पर्यावरण जागरूकता रैली निकाली

           टोंक पर्यावरण प्रेमी नरपतसिंह ने ग्रीन चेहरा व ग्रीन कपडे पहन कर कपडो के जेबो मे पोधे भर जिले मुख्य मार्गो से गुजरे व सरकारी क्रमचारियों व आम लोगों को पोधे भेट कर वो दस दिन बाद मे लगाने कि सलाह दि पर्यावरण प्रेमी ने जिला कलेक्टर आर सी ढेढवाल एसपी योगेश कुमार दाधीच  अतिरिक्त जिला कलेक्टर लोकेश गोतम एस डी एम पिंकी मीणा भष्टाचार ब्यूरो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विजयसिंह महिला पुलिस थानाधिकारी व ग्रामीण थानाधिकारी भरुणी थाना को पोधे भेट किया व जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय के आगे पोधारोपण किया भी किया गया
      एसपी योगेश कुमार दाधीच ने बताया कि सरकारी प्रयासों के साथ स्वयं हमारी जागरूकता बहुत आवश्यक है,यदि हम चाहे तो पोलीथिन के प्रयोग को स्वयं रोक सकते हैं.पेपर बैग या कपडे की थैलियों को साथ रख कर इस समस्या से बचा जा सकता है.ठेले आदि पर बिकने वाले सामानों को पोलिथीन में बेचने से बचाने में हम स्वयं योगदान दे सकते हैं.यदि हम पोलिथीन बेग में सामान नहीं लेंगें तो विक्रेता उसका प्रयोग स्वयं ही बंद कर देगा.

         पर्यावरण प्रेमी नरपतसिंह राजपुरोहित ने बताया कि नवीन भवनों के निर्माण के समय पेड़ लगाने की नीति को कठोरता से लागू किया जाना आवश्यक है,.इन पेड़ों के संरक्षण का उत्तरदायित्व समझना भी आवश्यक है.कुछ शहरों में ऐसी व्यवस्था की गई है कि अपना घर बनाते समय   वृक्ष सरकार लगाकर देगी और उनके संरक्षण का दायित्व गृह स्वामी का होगा. ऐसा नियम सभी स्थानों पर कम से कम नए घरों के निर्माण पर कठोरतापूर्वक  लागू  किया जाय तो निश्चय ही धरती हरी भरी हो सकेगी।
      बहुमंजिला भवनों के निर्माण के कारण विकास की अंधी दौड़ में  धरती को वृक्ष विहीन बनाने से पूर्व ये अनिवार्य नियम बनाया जाय कि जितने वृक्ष कटेंगें उतने वृक्ष लगाना और उनकी देख रेख का उत्तरदायित्व सम्बन्धित संस्थान का हो
      पर्यावरण प्रेमी नरपतसिंह राजपुरोहित ने अपनी मे बहिन को शादी मे देहज के रुप 251 पौधे भेट किये व मेहमानों व बारातियों को भी आप भी  एक  निवेदन कि यदि बच्चों के जन्मदिवस आदि पर या विशिष्ठ अवसरों पर बच्चों में वृक्ष लगाने की भावना को जागृत किया जाय साथ ही किसी एक वृक्ष का उत्तरदायित्व यदि एक परिवार ले सके तो निश्चित रूप से पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान होगा.इसी प्रकार किसी की मृत्यु के पश्चात भी उसकी स्मृति में पेड लगाने का निश्चय हम लें और उसकी देख भाल परिवार के सदस्य के रूप में करें.
      उपहार आदि देने में भी परिस्थिति के अनुसार पेड पौधे उपहार में दे. और इस अभियान से जुड़े रहें  और  उसका परिणाम सामने अवश्य आएगा
इस मोके पर राकेश सैनी गोलु बागडी मोजूद रहे


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