19.6.18

सुमेरपुर के लौह पुरुष स्वतंत्र सेनानी वीर बाबूलालजी राज्यगुरु !

सुमेरपुर के लौह पुरुष स्वातंत्र्य #वीर बाबूलालजी राज्यगुरु !

जननी जने तो ऐसा जने के दाता के सुर।
नि तो रीजे बाँझडी तू मत गवा जे नूर।।
#पर्व है पुरुषार्थ का, दीप के दिव्यार्थ का🚩🔥

#स्वतंत्रता संग्राम के वीर सेनानी, सुमेरपुर के प्रथम #सरपंच, राजपुरोहित समाज की आन बान शान , 36 कॉम के सारथी लोकनायक श्री बाबुलालजी राजगुरू जी की #पुण्यतिथि पर सादर नमन. सुमेरपुर के इतिहास में राजगुरू जी एक ऐसे जन नायक के रूप में पहचाने जाते हैं जिन्होंने अपने #क्रांतिकारी चिंतन से सर्व समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सुमेरपुर के, सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया।
जन्म - सन 1911 पलासिया खुर्द(जालोर)
मृत्यु- 19/06/1962 ऊंदरी(सुमेरपुर)

सुमेरपुर के लोहपुरुष श्री बाबूलाल राजगुरु सन 1936 में इन्होंने सुमेरपुर की एक जिनिंग फैक्ट्री में हो रहे मजदूरों के शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई और मजदूरों का संगठन एक आंदोलन खड़ा कर दिया पर उस जमाने में पुलिस और हुकूमत तो मालिकों के हाथ थी मजदूरों का कोई रक्षक था ही नहीं फलस्वरुप राजगुरु जी पर झूठे मुकदमे लगाकर उन्हें जेल की सजा भुगतनी पड़ी इसके बाद सुमेरपुर की सीमा से लगे सिरोही राज्य के शिवगंज कस्बे के निवासी श्री देवी चंद सागरमल के माध्यम से राजू गुरुजी का संपर्क सिरोही प्रजामंडल प्रमुख नेता श्री गोकुल भाई भट्ट से हुआ श्री गोकुल भाई के साथ उन्होंने सिरोही राज्य के गांव की जागरी जुल्मों के विरुद्ध आवाज उठाई उनके प्रचार ने संगठन में अपूर्व शक्ति पैदा की बाद में राज्य से निष्कासित कर दिया गया जागीरदारों से प्रभावित सामने पुलिस ने सन 1943 मैं इन्हें लोगों में बगावत करने का आरोप लगाकर हिस्ट्रीशीटर की सूची में दर्ज किया लगातार थाने में बुलाकर डराते धमकाते हैं तथा एक बार उनको झूठा फंसा कर जेल में डलवा दिया जिस पर उन्होंने महाराजा उम्मेद सिंह को कविता लिखकर न्याय की गुहार लगाई 51 वर्ष की अल्प आयु में पाली जिले के जागीरदारों भ्रष्ट सरकारी मुलजिमों मुनाफाखोरों व्यापारियों एवं गरीब जनता के शोषण के खिलाफ संघर्ष करते हुए जनता को पूर्ण रुप से स्वतंत्रता दिलाकर दिनांक 19 6 1962 में अस्त हो गया किंतु आज भी सुमेरपुर की जनता उनका नाम सुनकर सम्मान मैं सर झुका देती है बचपन का बहुत ही गरीब परिवार में गुजरा गांव गांव जाकर किताबें बेची साधनों के अभाव में नंगे पैरों यात्रा करके अपने जनता की आवाज सरकार तक पहुंचाएं सके और वह सहारा उन्हें पत्रकारिता के रूप में मिला|!

जाने कैसे लोग थे जो देश हित के बारे में सोचते थे आज तो हर आदमी खुद के स्वार्थ में ही लगा है।
नमन उन महान लोगो को जो वाकई महान थे सिर्फ मीडिया या जनता को दिखाने के लिये देशहित का ड्रामा नही करते।

लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य-लेखे, विजय के उद्घोष! गीता के कथन!
आपको सत सत नमन है! 🙏💐
#महादेव🚩
🙏राजगुरु साहब अमर रहे🙏


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