12.5.19

स्वाद राजस्थान का राजपुरोहित ह्र्दयलेखनी के जायके के साथ

एक कविता में राजस्थान के समस्त व्यंजनों का जिलेवार विवरण प्रस्तुत किया है कवि और लेखक नरपत सिंह राजपुरोहित


 आज कि हमारी जो पोस्ट लेकर आए हैं नरपत सिंह जी की फेसबुक वॉल से यह 2017 में लिखी उनकी एक कविता


लूणी रा रसगुल्ला खाओ ; भुजिया बीकानेर का ।
चमचम खावणी पोकण ऱी; घोटमा जैसलमेर का ।।

कड़ी कचोरी अजमेर ऱी ;अर कचौरा नसीराबाद का ।
पाली रे गुलाब हलवे रा ; बड़ा मजा है  स्वाद का  ।।

ओसियां में दाल रा वड़ा ; जीवण जी खिलावे ।
फलोदी रे भैया भा रो हलवो; मूंडे लाळ पड़ावे ।।

रबड़ी रा भटका आवे तो ; सीधा जावो आबू रोड़ ।
जयपुर रा घेवर खावण रो; मौको ना दीजो छोड़ ।।

कोटा ऱी हींग कचोरी ; रतन आळे ऱी खाइजो ।
खीर मोहन खावण ने ; गंगापुर सीटी आइजो।।

घणो ई चौखो लागे है ; अलवर आळो मिल्क केक ।
भारत भर में पीवे चाव सूं ; भीलवाड़ा रो मिल्क शेक ।।

 प्याज कचोरी ,मावा कचोरी ; अर मिर्ची बड़ो है जोर ।
सगळे स्वाद में राजा कहिजे ;    है जोधाणो सिरमौर ।।

लिख्या जितरा ई खाया हूँ ; ह्रदय सूं थाने बतावूं ।
मिष्ठान लेखणी रो संगम हूँ ; लिख-लिख ने इतरावूं ।।


¶¶ लेखक/कवि :- नरपत सिंह राजपुरोहित ह्र्दय ¶¶



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