29.3.20

'शेरा' सफल बना दो इस आंदोलन को।

आज की ही सुंदर रचना प्रवासी भारतीयों के लिए लिखी गई है भारत में इस वक्त जो हालात है वह बहुत ही गंभीर हैं और बहुत ही शानदार रचना के माध्यम से उन भावों को उखाड़ने की कोशिश की है कवि ने प्रस्तुत है आपके सामने यह रचना जो श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा लिखी गई है 
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हाय तौबा क्यों मचाते,
रख लो थोड़ा सा धीर।
त्राहि की वेला में वीरों!
थामों संयम की शमशीर।

परदेशी तुम क्यों घबराते?
नहीं प्रदेश कोई पराया।
कोरोना की कल्पना ने,
बस तुमको है डराया।

जहाँ बसे हो बस बसे रहो तुम।
वहाँ से न टस से मस हो तुम।।

आँधी वाले ये अम्बुद,
बिखर जायेंगे खुद-ब-खुद।
रहकर घर में वीरों हम,
जीत जायेंगे अब ये युद्ध।

चंद दिनों की बात है प्यारों,
तब तक तुम जज़्बात सँभालो,
काली ये रातें ढल जाने दो।
फिर सुनहरी प्रभात उगालो।

'शेरा' सफल बना दो इस आंदोलन को।
मानो मीत मेरे, मोदी जी के संबोधन को।

     Shera Raj Samdari

रचना के रचनाकार है श्रवण सिंह टिटोपा बामसीन, समदड़ी 
प्रस्तुत रचना कवि की अपनी संपत्ति है बिना अनुमति के पब्लिश या उसका किसी भी रूप में प्रकाशित करना कॉपीराइट नियम का उल्लंघन है अनुमति अवश्य प्राप्त करें।

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 सवाई सिंह राजपुरोहित मीडिया प्रभारी सुगना फाउंडेशन

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