20.4.22

भटनोखा के डॉ.ओम प्रकाश राजपुरोहित शोध प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई 

राजस्थान का जहाज कहलाने वाले ऊंटों की संख्या लगातार घट रही है। पशुगणनाएं बताती है कि ऊंटों की संख्या में अप्रत्याशित कमी दर्ज की गई है। चरवाह जातियों के लोगों की अर्थव्यवस्था का एकमात्र आधार पशु ही है, ऐसे में अगर इनका संरक्षण नहीं होगा तो ऊंटों की विलुप्ति के साथ चरवाह जाति के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है। राज्य सरकार ने ऊंट को राज्य पशु घोषित कर दिया है लेकिन वोटों की संख्या दिनों दिन घटती ही जा रही है. 

भटनोखा के डॉ.ओम प्रकाश राजपुरोहित शोध प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर (भूगोल विभाग)  राजस्थान में घटती ऊंटों की संख्या का चरवाहा जातियों के सामाजिक आर्थिक विकास पर प्रभाव विषय पर शोध परियोजना स्वीकृत मिली है।

क्या बोलते हैं सरकारी आंकड़े
* भारत के कुल ऊंटों (2.5 लाख) में से 85.2 प्रतिशत राजस्थान में पाए जाते हैं।
* 2012 की तुलना में 2019 में ऊंटों की संख्या में 34.69 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

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