1.10.12

श्री ब्रह्मा सावित्री सिद्ध पीठाधीश्वर श्री 1008 श्री तुलछाराम महाराज जी के चातुर्मास समापन पर उमड़े श्रद्धालु...


  संत श्री 1008 श्री खेतेश्वर महाराज के परम शिष्य अनंत श्री विभूषित श्री ब्रह्मा सावित्री सिद्ध पीठाधीश्वर श्री 1008 श्री तुलछाराम महाराज जी के 32 वें दिव्य चातुर्मास व्रतोत्सव का समापन समारोह रविवार को आयोजित हुआ। श्री पीठाधीश्वर तुलछाराम महाराज ने सवेरे 9 बजे हजारों भाविकों के साथ श्री ब्रह्म सरोवर से प्रस्थान किया। इस अवसर पर शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में ढोल नगाड़ों पर भाविक झूम उठे तथा पुष्प वर्षा से गुरु महाराज का अभिनंदन किया गया। शोभायात्रा के साथ पीठाधीश्वर गुरु महाराज ब्रह्माशांतवर ब्रह्मर्षि ब्रह्मलीन खेताराम महाराज वैकुंठधाम पहुंचे। पीठाधीश्वर ने गुरु महाराज की प्रतिमा को माल्यार्पण कर पूजा-अर्चना की। पीठाधीश्वर कुछ समय तक गुरु महाराज के चरणों में वंदन करते रहे। वहां से शोभायात्रा के साथ ब्रह्माजी के मंदिर में जगत पितामह ब्रह्माजी के दर्शन कर माल्यार्पण कर पूजा अर्चना के बाद शिवधुणे के दर्शन किए। महामंत्री भंवरसिंह कनाना ने बताया कि महाराज वहां से पुन: ब्रह्म सरोवर पहुंचे। पीठाधीश्वर ने उनके साथ चातुर्मास करने वाले 51 भाविकों को आशीर्वाद एवं प्रसाद प्रदान कर विदा किया। पंडाल में आयोजित दिव्य चातुर्मास समापन समारोह में आकर भाविकों को आशीर्वाद एवं आशीर्वचन दिए। 3 माह के मौन व्रत के बाद रविवार को समारोह में भाविकों को आशीर्वचन में कहा कि जो मनुष्य सद्कर्म करता है, उसी के फलस्वरूप गुरुकृपा प्राप्त होती है। सद्कर्मों के बिना गुरु पास रहते हुए भी दूर होते हैं एवं सद्कर्मों से वे दूर रहकर भी गुरु का सानिध्य प्राप्त कर सकते हैं। प्रेम व विनम्रता से आप गुरु को अपने ह्रदय में बिठा सकते हैं। गुरु के आदर्शों को मानना ही गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा होती है। माता-पिता की सेवा के बिना गुरुकृपा प्राप्त नहीं हो सकती है। क्रोध सभी दुष्कर्मों की जड़ है, इसे नजदीक भी नहीं लाना चाहिए। अगर आप सभी पूजनीय गुरु महाराज खेतारामजी के आदर्शों को ह्रदय में बिठा लेंगे तो गुरु महाराज का वरद-हस्त सदा आप पर रहेगा। गुरु महाराज हमेशा भाविकों के साथ रहते हैं। पीठाधीश्वर ने समारोह में आए सभी संतवृदों को भेंट प्रदान कर विदा किया। समापन समारोह में जयनारायण विश्व विद्यालय के कुलपति भंवरसिंह सिमरखिया ने एवं उद्यमी बाघसिंह ने भी संबोधित किया।

श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का समापन: गत एक सप्ताह से वेदांताचार्य ध्याना राम के श्रीमुख से श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा श्रवण भाविक कर रहे हैं। श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा के समापन पर वेदांताचार्य ने कहा कि अच्छे कर्मों की कमाई ही मनुष्य को भवसागर से पार उतारती है। भौतिक धन नश्वर है अगर अपने आध्यात्मिक कमाई नहीं की तो अंत समय में आपके पास सद्कर्म की कमाई नहीं है तो आपको भवसागर के तट पर प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।

ये थे उपस्थित: समापन समारोह में हेमसिंह महाबार, उपाध्यक्ष मंगलसिंह कालूड़ी, सुल्तान सिंह बावड़ी, कोषाध्यक्ष विरदीचंद समदड़ी, जसवंत सिंह, रुप सिंह व नाथू सिंह, एस. पी सिंह, सुगना फाऊंडेशन-मेघलासिया के पदाधिकारियों बिराम सिंह, सदस्यों एवं कार्यकर्ताओ में डॉ सज्जन सिंह, डॉ एम पी सिंह, सुखदेव सिंह ओसिया, राजू सिंह, तिलोक सिंह, देवी सिंह, धीरज सिंह, ओम प्रकाश सिंह सहित हजारों भाविक उपस्थित थे! 
साभार :- भास्कर न्यूज़(www.bhaskar.com)

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