29.6.13

ना मैँ गरिब हुँ.ना मैँ अमीर हुँ ,, मैँ हुँ अपने वतन का रक्षक ...श्री नरपतसिंह

ना मैँ गरिब हुँ
ना मैँ अमीर हुँ ,
ना मैँ नेता हुँ
ना मैँ अभिनेता हुँ ,
ना मैँ खिलाङी हुँ ,
ना मैँ अनाङी हुँ ,
मैँ हुँ अपने वतन का रक्षक 
दुश्मनोँ का भक्षक ,
मैँ हुँ युद्धवीर 
देता दुश्मन को चीर ,
मैँ हुँ एक इंसान परिँदा
जो उठाये आँख वतन पर
नहीँ रहता वो जिँदा ,
मैँ हुँ एक भयानक कहर ,
सोचे जो वतन का बुरा
उङ जाये वो जालिम जहर ,
मैँ हुँ एक वतन का प्रेमी
माँ भारती की रक्षा करता हुँ ,
आये तो माता से लङने
उसे भक्षा करता हुँ ,
मैँ हुँ हिन्दु कट्टर
धर्म का पालनहारी ,
जिसे हिन्द से नफरत 
वो करो भागने की तैयारी .
मैँ माँ भारती का
तन मन धन से बाँडीगार्ड ,
जो करे माँ पर विप्पदा 
उस काट देता हुँ जीवन कार्ड ,
किसी ने नहीँ पहचाना
मुझे अगर
तो मैँ हु आपका और वतन का "हमसफर" ।

रचना भेज ने वाले 
युवा कवि श्री नरपतसिंह राजपुरोहित हमसफर
             https://www.facebook.com/prem.rajpurohit.98

यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर(Join this site)अवश्य बने. साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ. यहां तक आने के लिये सधन्यवाद.... आपका सवाई सिंह राजपुरोहित

No comments:

Post a Comment

यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर(Join this site)अवश्य बने. साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ. यहां तक आने के लिये सधन्यवाद.... आपका सवाई सिंह 9286464911