21.7.13

सवाई नाम के कितने करुँ बखान...श्री नरपतसिंह राजपुरोहित हमसफ़र

मेरे जन्मदिवस पर एक कविता लिखी युवा कवि और प्रिय भाईसाब श्री नरपतसिंह राजपुरोहित हमसफ़र  आप को पसंद आएगी ...आपका सवाई सिंह राजपुरोहित मेघलासिया 

सवाई नाम के कितने करुँ बखान,
कम पङते है सब गुणगान ,
जन्म से ही सब के चहेते ,
ये मन पंछी हर दिल मेँ रहते ,
श्री बीरम सिंहजी के प्यारे संतान ,
सवाई नाम के कितने करुँ बखान ।।
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बहुत शुद्ध इनके सुविचार ,
मदद के मौके मेँ हरदम तैयार ,
चार्ज करते है सबके जीवन को ,
सच्ची सीख देते जन-जन को ,
तीन भाईयोँ मेँ छोटे भाईजान ,
सवाई नाम के कितने करुँ बखान ।।
सच्चाई के ये धनी है ,
प्रतिभा इनमे खूब बनी है ,
आगरा मेँ भी मची सनसनी है ,
समाजसेवा के लिये छाती इनकी तनी तनी है ,
अपनी बहनोँ के राखी की शान ,
सवाई नाम के कितने करुँ बखान ।।
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ऊपरवाले ये तेरी कैसी माया 
लूँट लिया माँ का छाया
बहुत आती है माँ की याद
पर किससे करेँ ये फरियाद ,
करते है साकार माँ सुगना देवी के सपने
बिनसहारोँ की मदद कर बनाते है अपने ,
जारी है माँ के संस्कारोँ की पहचान 
सवाई नाम के कितने करुँ बखान ।।
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हो आप सबसे न्यारे
मित्रोँ के सबसे प्यारे
सबके मन मेँ आप बसे हो
रंग रूप मेँ भी खूब जच्चे हो ,
मीत आप पर करते अभीमान
सवाई नाम के कितने करुँ बखान ।।
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मेरे तो आप हो भगवन
चाहता हुँ आपको मन ही मन ,
अविरल रहे आपकी मुस्कान
मिले आपको हर मंजिल हर मुकाम
"हमसफर" आपका जिगर-ए-जान
सवाई नाम के कितने करुँ बखान ।।

आपका नरपतसिंह राजपुरोहित हमसफ़र 
युवा कवि श्री नरपतसिंह राजपुरोहित 
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