तोलियासर गांव का पहला डॉक्टर...
इनका नाम है चंदनसिंह राजपुरोहित। अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में ही प्राप्त की। दसवीं में 78%अंक प्राप्त किये। माता पिता का सपना था कि उनका बच्चा डॉक्टर बने किंतु गांव के स्कूल में केवल कला विषय ही था। गांव में कुछ लोगों से सलाह ली तो उन्होंने कहा कि तुम्हारे परिवार के लिए ये संभव नहीं होगा क्योंकि इसमें बहुत पैसा लगता है।
अतः एक बार तो लगा कि अब ये सपना अधूरा ही रहेगा। फिर एक दिन अपने मामा जी से बात की जो गंगानगर में PRO के पद पर कार्यरत हैं।उन्होंने बताया कि आगे क्या होगा और ज्यादा पैसे की भी आवश्यकता नहीं होगी।अब मन जोश से भर गया और श्री डूंगरगढ के भारती निकेतन स्कूल में प्रवेश लिया किंतु वहाँ की फीस भी मुझे ज्यादा लगती थी।
गांव से जब स्कूल जाता तो अधिकांश मित्र मजाक उड़ाते कि ये डॉक्टर बनेगा ! वो अन्य विषय से सम्बंधित थे।इनके कारण कई बार मन विचलित भी होता किंतु ऐसे समय मम्मी ने प्रेरित किया और एक उपाय बताया कि उन बच्चों को जवाब मत देवो और जब कुछ बनोगो तो ये लोग अपने आप चुप हो जायेंगे।
बस ये बात मेरी लिए प्रेरक बन गई और 12 वी में 80% अंक प्राप्त करने के बाद सिंथेसिस के बेहतरीन परिणामों को देखते हुए यहां प्रवेश लिया। फिर जमकर मेहनत की किंतु बहुत कम नंबरों से MBBS से वंचित रह गया किंतु टीम सिंथेसिस की प्रेरणा और स्कोलरशिप के कारण हिम्मत करके एक और प्रयास का निश्चय किया। विगत वर्ष की कमियों को दूर किया और बेहतरीन परिणाम मिला।
अपनी रैंक पर SPMC बीकानेर की बजाय गुजरात के सूरत मेडीकल कालेज में प्रवेश का निश्चय किया।
चंदन को इस शानदार उपलब्धि के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और आशीर्वाद... राजपुरोहित समाज
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