अनंत श्री विभूषित महर्षि ब्रह्मचार्य श्री ब्रम्हा सावित्री सिद्ध पीठाधीश्वर परम पूज्य संत श्री तुलसाराम जी महाराज का 37 वा चतुर्मास तप साधना के साथ अब की बार गुरुवर श्री खेताराम जी महाराज की जन्मभूमि बिजरोल खेड़ा में रखा गया था। उसको संपूर्ण कर गुरुवर श्री चार धाम की यात्रा पर निकले बद्रीनाथ केदारनाथ जगन्नाथ व रामेश्वरम धाम की यात्रा करते हुए कन्याकुमारी से केरल होते हुए शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर दोपहर ठीक 1:30 बजे तपोभूमि ब्रह्मा मंदिर आसोतरा की धन्य धरा पर आगमन होने पर संत श्री का जोरों-शोरों से पुष्पवर्षा के साथ व जयकारों के साथ स्वागत किया गया। पूरा परिसर भक्तिमय हो गया मेरे भाव के स्वरूप स्वर्ग का एहसास हो रहा था। इस के साथ गुरुदेव ने सर्वप्रथम रामदेव जी के मंदिर में पूजा अर्चना की। उसके बाद श्री ब्रह्मा मंदिर में पूजा अर्चना की वह नतमस्तक हुए उसके बाद प्रातः स्मरणीय ब्रह्म स्वरूप संत श्री 1008 श्री खेतेश्वर महाराज के मंदिर में पूजा अर्चना की के बाद समाधि स्थल पर पूजा अर्चना की। उसके तुरंत बाद वहां से रवाना होकर खेतेश्वर मंदिर के ठीक सामने एक विशाल सुंदर सुशोभित पंडाल में जयकारों के साथ प्रवेश करते हुए मंच पर आसीन हुए तथा उनके साथ और भी बहुत सारे साधु संतों का काफिला था।
उसके बाद विशिष्ट अतिथि व मेहमानों का स्वागत किया गया। इसी के साथ चार धाम की यात्रा में गुरुवर के साथ करीब 70 श्रद्धालु और भी थे। उनका भी साफा व माला के साथ जोरों-शोरों से स्वागत किया गया। उसके तुरंत बाद संपूर्ण चतुर्मास व चार धाम की यात्रा का विस्तार से वर्णन हुआ इसमें एक और जानकारी मैं आपको देना चाहता हूं कि श्रद्धालुओं ने चार धाम की यात्रा की वह अपने स्वयं के खर्चे से की। दूर दूर से आए साधु-संतों का भी जोरों-शोरों से स्वागत हुआ। इसके बाद आज शाम को 8:00 बजे से श्रोताओं के साथ देने तक विशाल भजन संध्या का भी आयोजन रखा गया है।
News by मामाजी श्री रामेश्वर सिंह राजपुरोहित कानोडिया
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