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कवि ओर साहित्यकार रवि पुरोहित का जीवन परिचय एवं साहित्य क्षेत्र में उपलब्धिया


प्रिय मित्रों 
राजपुरोहित समाज की कला से जुड़ी हस्तियों के परिचय एवम उपलब्धियों की कड़ी मे आज हम कवि एवम साहित्यकार श्री रवि जी पुरोहित को लेकर आये है। 
साहित्य साधना के परम उपासक श्री रविजी की साहित्य क्षेत्र में एक विशिष्ट पहचान है ।

5 जून 1968 में जन्मे रवीजी मूल बीकानेर जिले के श्री डूंगरगढ़ के निवासी है और हाल बीकानेर में राजस्थान सरकार अधीनस्थ लेखा सेवा में कार्यरत है ।
आपने महर्षि दयानंद सरस्वती विश्व विद्यालय अजमेर से 1989 में वाणिज्य स्नात्तक की डिग्री परीक्षा उतीर्ण की ,ततपश्चात 1991 में हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। 
फिर वर्ष 2010 में आपने महाराजा गंगासिंह विश्व विद्यालय बीकानेर से राजस्थानी भाषा मे एम. ए. की डिग्री उतीर्ण की ।।

शोध सर्वे - 
मरुभूमि शोध संस्थान श्री डूंगरगढ़ में वर्ष 1989 से 1991 तक आप मानस शोध में सहायक रहे है ।
'चुरू अंचल रा लोक देवतावां अर लोक मान्यतावां ' इस विषय पर आपके शोध कार्य चालू है ।
साक्षरता के क्षेत्र में सरकारी एवम गैर सरकारी प्रयास में दशा एवम दिशा के लिए शिक्षा समाज और चेतना में आपकी शैक्षणिक परियोजना की भूमिका रही है। 

सदस्यता -- 
साहित्य अकादमी नई दिल्ली के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के वर्तमान में आप सदस्य है । राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी बीकानेर की पांडुलिपि प्रकाशन सहयोग तदर्थ उप समिति का संयोजकीय दायित्व एवम सदस्यता रही वर्ष 2012 से 2014 तक ।
वर्ष 2006 से 2008 तक आप राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर की सरस्वती सभा के सदस्य रहे है। 
ASIA PACIFIC WHO*S WHO के आप पंजीबद्ध रचनाकार है ।
राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति श्रीडूंगरगढ़ के आप आजीवन सदस्य है और वर्तमान में इसके सयुंक्त मंत्री भी है ।
राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ , सार्वजनिक पुस्तकालय श्रीडूंगरगढ़ की आजीवन सदस्यता और प्रबन्ध समिति के पूर्व सदस्य भी है । 

लेखन -- 
प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में कहानी ,कविता , निबन्ध , व्यंग्य , आलोचना , लघुकथा , फीचर आलेख आदि का सन 1985 से लगातार प्रकाशन होता आ रहा है ।
आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों एवम दूरदर्शन तथा अन्य चैनलों पर आपकी विविध विधाओं की रचनाओं का प्रचुर प्रसारण होता रहता है। 
कई संपादित संकलनों में रचनायें संकलित है। 

प्रकाशन - 
चमगूंगो (1991) , हासियो तोड़ता सबद (1996) , राजस्थानी बाल कविता संगह 'तिरंगों' (2006) और उतरूँ उँडे काळजै''(2015) इत्यादि राजस्थानी कविता संग्रह प्रकाशित हो चुकी है ।
सेना के सूबेदार (2006) और 'आग अभी शेष है (2018) हिंदी कविता संग्रह का प्रकाशन। 
एक और घोंसला(1997)और धुले-धुले चेहरे (2015) हिंदी कहानी संग्रह का प्रकाशन तथा हिंदी व्यंग्य निबन्ध संग्रह "सपनों का सुख " का 2006 में प्रकाशन हो चुका है । 
काव्य संग्रह " उतरूँ उँडे काळजै " का हिंदी अंग्रेजी संस्कृत तथा पंजाबी में अनुवाद कर चुके है और गुजराती भाषा मे अनुवाद का कार्य जारी है ।
कुछ कविताओं का नेपाली उड़िया मराठी और बांग्ला भाषा मे भी अनुवाद हो चुका है। 

सम्पादन - 
'यादां रै आँगणीये ऊभा उणीयारा" (राजस्थानी रेखांचित संग्रह ) , आंखों में आकाश , राजस्थान शिक्षा विभाग के लिए बाल साहित्य संग्रह का 2012 में सम्पादन। 
उकळती ओकळ सूं उपज्या आखर , (श्री श्याम महर्षि री काव्य सिरजण समग्र ) ।
राजस्थली , लोक चेतना की राजस्थानी तिमाही का पिछले 25 वर्षों से प्रबन्ध प्रकाशन। 
जागती जोत (राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर की मुख पत्रिका) का एक वर्ष तक सम्पादन ।
"हस्तक्षेप" ( साहित्यिक फोल्डर के चार अंको का सम्पादन ) 
एक दर्जन से अधिक अभिनंदन ग्रन्थों एवम स्मारिकाओं का सम्पादन। 

भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों ,राजस्थानी भाषा की एकेडमियों एवम कई प्रतिष्ठित एजेंसियों द्वारा आयोजित-प्रायोजित राष्ट्रीय , राज्य स्तरीय और आंचलिक समारोहों का आप संचालन कर चुके है ।
राजस्थान शिक्षाकर्मी का अनोपचारिक शिक्षा अनुदेशक आवासीय प्रशिक्षण शिविर का व्यवस्थापन । 

अनुवाद - 
जिओ मेरे साईंयां ,, (वीरसिंह की पंजाबी कृति ) का राजस्थानी अनुवाद ।
कैवती ही माँ , (युवा कवियित्री सुमन गौड़ की हिंदी कविताओं का राजस्थानी अनुवाद ) 
म्हनैं चांद चाइजै , ( साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा पुरस्कृत श्रीकांत वर्मा के चर्चित उपन्यास कृति) का राजस्थानी अनुवाद। 
कुछ तो बोल , (कवि श्याम महर्षि की राजस्थानी कृति ) का हिंदी अनुवाद। 

पुरस्कार और सम्मान - 
साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा जीवो म्हारा सांवरा (वीरसिंह की पंजाबी कृति) के लिए 'अनुवाद पुरस्कार 2016 ।
राजस्थान सरकार द्वारा उत्कृष्ट साहित्य लेखन के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार । 
राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर का " भगवान अटलानी युवा लेखन पुरस्कार । 
राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी बीकानेर का " 
बावजी चतुरसिंह जी अनुवाद पुरस्कार ।

इसके अलावा आपको , मैथिलीचरण गुप्त युवा लेखन सम्मान, पीथळ पुरस्कार , महेंद्र जाजोदिया पुरस्कार , शब्दनिष्ठा सम्मान ,
दी यंग्स वेलफेयर सोसायटी रतनगढ़ द्वारा रामगोपाल गिरधारीलाल सर्राफ अलंकरण ।
सृजन सेवा संस्थान श्रीगंगानगर द्वारा साहित्यकार सम्मान ।
पंडित विद्याधर शास्त्री अवार्ड ।
त्रिलोक शर्मा स्मृति संस्थान श्रीडूंगरगढ़ द्वारा " संवाद सम्मान ।
इसके अलावा " साहित्य शिरोमणि सम्मान , ज्ञान श्री सम्मान , राजपुरोहित गौरव सम्मान । सहस्त्राब्दी हिंदी सेवी सम्मान । 
निम्बोळ का साहित्य साधक सम्मान। 
इनके अलावा भी विभिन्न संस्थाओं द्वारा आप को सम्मानित किया गया है। 

पत्रकारिता - दैनिक नवज्योति और दैनिक भास्कर के अलावा अन्य कई प्रतिष्ठित पत्रों के लिए मानव संवाद प्रेषण का कार्य । 

शोध- 
महाराजा गंगासिंह विश्व विद्यालय बीकानेर द्वारा " रवि पुरोहित रै काव्य मांय सामाजिक चेतना " विषय पर डॉ मदन सैनी के निर्देशन में और " सेना के सूबेदार काव्य में लोक चेतना " के विषय पर डॉ मेघराज शर्मा के निर्देशन में 2009 व 2010 में लघु शोध ।। 

साहित्य जगत में श्री रवि राजपुरोहित जी ने जो मुकाम स्थापित किये है वो वाकई राजपुरोहित समाज और राजस्थानी साहित्य के लिए गौरव करने योग्य है ।
Rajpurohit samaj india पेज / ग्रुप श्री रविजी का सह्रदय से आभार एवम सम्मान करता है ।

मित्रों आपको हमारी ये पहल और पोस्ट कैसी लगी हमे सुझाव जरूर दीजियेगा , अगले शनिवार हम समाज की एक और हस्ती से आपको रूबरू करवाएंगे ।😊😊 
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा। 

1 comment:

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