7.4.22

राजपुरोहित राज ऋषि श्री सोमायत जी मुथा

महान ऋषि पीपलाद की वंश परंपरा में पालीवालों के जिनके पास पाली, नाडोल क्षेत्र के आस पास की 84 गांवों की जागीरी थीं| उस समय के वे बहुत बड़े जागीरदार हुआ करते थे थै , पालीवाल पाली के संपन्न शासक थै।
पालीवाल शक्ति की उपासना करते थै,
मां शक्ति के आदेशानुसार ही पालीवालों ने सारी जागीरी  
राव लाखण जी चौहान को सुपुर्द कर दी, राव लाखण ने मुगलों और लुटेरी जातियों का खात्मा कर क्षेत्र में शांति स्थापित की
इन्ही पालीवालो के वंशज सोमायतजी जालौर के शासक राव कान्हड़ देव के दरबार में उपस्थित हुए| वहा उनको बड़ा आदर सत्कार मिला 
तथा सोमायत जी को दीवानी मेहता पद पर सुशोभित किया
साथ ही श्री गुरु की पदवी तथा व्यास की पदवी भी दी
कान्हड़ देव के दरबार में सबसे बड़े अधिकारियों में सोमायत जी का स्थान अग्रणी था
वीर कान्हड़देव ने सोमायत जी को एक उच्च श्रेणी का नीला अश्व भी भेट किया

राव कान्हड़ देव के पुत्र राव वीरमदेव और खिलजी के उस भीषण युद्ध में सोमायत जी मुथा बड़े प्रराक्रम से लड़े 
सोमायत जी ने अपनी अलौकिक सूझबूझ, राजनैतिक सलाह और शौर्य का अद्भुत परिचय दिया
इस भीषण युद्ध में सोमायत जी की तलवार से दुश्मनों के संहार से धरती को रक्त लाल कर दिया 
अंत में वीरगति को प्राप्त हुए   


जालौर दुर्ग में आज भी सोमायत जी का स्मारक शान से भग्न रूप में स्थापित है , जो वर्तमान में वहा एक मज्जिद के समीप धड़े पर विद्यमान हैं उस समय के कवियों ने सोमायत जी के युद्ध का वर्णन कुछ इस प्रकार किया की।

सम्वत तरह सौ अडसठे, विराम दे री वार।
सोनगरो ने सोमाँयत,जळहर हुआ जुहार।
शीश भटो रा काटिया, हाळी अजब हिलोर।
सूरापण छानो नहीं, जग चावो जाळोर।
ख़िलजी री खगोह,झाटो झेली जोम सु। 
रंग दियो वागोह, धिन सोमाँयत सुरमा


वीर विरमदेव के पुत्र राव लक्ष्मण जी ने इनकी शुरवीरता से प्रभावित होकर सोमायत जी के वंशजों को 6 गांवो के साथ 11अन्य इनाम प्रदान किए 
रुंगडी, घेेनडी, पिलोवनी, वनदार, शिवतलाब, सेवास
सेवास गांव की जागिरी कुछ समय बाद जब्त कर दी गईं थी

इन्ही मुथाओं के भाइयों ने मेवाड़ राजघराने में भी अपनी शुरवीरता का लोहा मनवाया तब मेवाड़ के राज दरबारी कवियों ने भी इनके सम्मान में लिखा

मुथा मोटी मरजाद,राजपुरोहित रुडा
महाराणा मोकळ्या, सिरोपांव काड
मुथो राजप्रोहित मारिजियो, राणा भाया राड
सगतसि ऊ सोगन सटे, मुथा तजि मेवाड़
समपडत कीधी सगतीया, बढ़ र बीजल बाढ़।
पोरष राणा, प्रताप रो राजप्रोहित मुथो प्रगाढ़।

इन महापुरुषों के वंशजों से मेरा निवेदन है की शीघ्र ही महान शूरवीर श्री सोमायत जी मुथा की अश्व असवार एक अष्ठ धातु की प्रतिमां स्थापित कर इन्हे उचित सम्मान दिलावे

✍️ बलवीर सिंह बिकरलाई

स्रोत:- कान्हड़ देव प्रबधन संग्रहण से प्राप्त जानकारी "राजपुरोहित जाती का इतिहास भाग 1" में दर्ज है 

चित्र सूची 
1:- महान वीर वीरमदेव सोनिगरा
2:-राव लाखण अथवा राव लाखा चौहांन
3:- जालौर के अजेय दुर्ग का मुख्य द्वार
4:- अजेय जालौर दुर्ग का विहंगम दृश्य
5:- भीषण युद्ध का चित्रण

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