प्रकृति के साथ ही प्रारम्भ हुई प्राकृतिक चिकित्सा,
दो दिवसीय आरोग्यश्री मेला का यूथ हॉस्टल में हुआ शुभारम्भ, निशुल्क परामर्श के साथ कार्यशाला व ट्रेनिंग का भी हुआ आयोजन
आगरा। धरती पर प्रकृति के सृजन के साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा का भी शुभारम्भ हो गया था। जबकि अन्य सभी पद्धति बाद में विकसित हुईं। जिसका उल्लेख हमारे वेदों व ग्रंथों में भी है। आचार्य चरक और सुश्रुत के समय में न सिर्फ जटिल रोगों का इलाज बल्कि कपाल सफल कपाल सर्जरी भी की जाती थीं। भारत में विकसित हुई इस प्राकृतिक व आयुर्वेदि चिकित्सा पद्धति को संजो कर रखने की आवश्यकता है। यह कहना था आरोग्यश्री मेला के मुख्य अतिथि रोहित गर्ग (एनआरएल कार्स के एमडी) का। बहुत लाभकारी है ये चिकित्सा पद्धति श्रीगणेश की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर कार्यक्रम के शुभारम्भ करते हुए उन्होंने कहा कि आज की व्यस्त और तनावपूर्ण जीवनशैली के दौर में प्राकृतिक व आयुर्वेदित चिकित्सा बहुत लाभकारी है। डीसीबी बैंक मैनेजर दीपक सिंह ने योग के महत्व पर प्रकाश डाला। आरोग्यश्री मेला समिति के अध्यक्ष डॉ. एमपी सिंह ने कहा कि प्राकृतिक व आयुर्वेदिक चिकित्सा में हर रोग का इलाज सम्भव है। बीमारियों से दूर रहने में योग का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिए हर व्यक्ति को प्रतिदिन योग अवश्य करना चाहिए।
इन्होंने लिया हिस्सा
उद्घाटन सत्र के उपरान्त आयोजित कार्यशाला व ट्रेनिंग में नर्सिंग, फार्मेसी व आयुवेदिक चिकित्सा के लगभग 90 विद्यार्थियों ने भाग लिया। जिसमें डॉ. अभिनव चतुर्वेदी ने फिजियोथैरपी की एडवान्स तकनीक डॉ. वासुदेव कुशवाह ने मेडिटेशन, डॉ. अजय कुमार यादव ने प्राकृतिक चिकित्सा, योग, डॉ. मयंक अग्रवाल ने नो योर नम्बर (बीपी, शुगर आदि का स्तर) एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉ. वीके सोनकर ने चर्मरोग, डॉ. शशि सोनकर ने प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में जानाकरी दी।
इस अवसर पर मुख्य रूप से पूर्व चिकित्साधिकारी आगरा डॉ. आरबी शर्मा, आरोग्यश्री सुगना फाउंडेशन के संरक्षक बीरम सिंह,एस पी सिंह, सवाई सिंह राजपुरोहित डा़ं शिवालिक शर्मा कमल सिंह, राखी दक्ष, बाबूलाल जैन, भगवती प्रसाद, प्रताप सिंह सिसोदिया आदि उपस्थित थे। प्रकृति के साथ ही प्रारम्भ हुई प्राकृतिक चिकित्सा
प्रकृति के साथ ही प्रारम्भ हुई प्राकृतिक चिकित्सा से आगरा के आम जन लिया लाभ
दो दिवसीय आरोग्यश्री मेला का यूथ हॉस्टल में हुआ शुभारम्भ, निशुल्क परामर्श के साथ कार्यशाला व ट्रेनिंग का भी हुआ आयोजन
आगरा। धरती पर प्रकृति के सृजन के साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा का भी शुभारम्भ हो गया था। जबकि अन्य सभी पद्धति बाद में विकसित हुईं। जिसका उल्लेख हमारे वेदों व ग्रंथों में भी है। आचार्य चरक और सुश्रुत के समय में न सिर्फ जटिल रोगों का इलाज बल्कि कपाल सफल कपाल सर्जरी भी की जाती थीं। भारत में विकसित हुई इस प्राकृतिक व आयुर्वेदि चिकित्सा पद्धति को संजो कर रखने की आवश्यकता है। यह कहना था आरोग्यश्री मेला के मुख्य अतिथि रोहित गर्ग (एनआरएल कार्स के एमडी) का। बहुत लाभकारी है ये चिकित्सा पद्धति श्रीगणेश की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर कार्यक्रम के शुभारम्भ करते हुए उन्होंने कहा कि आज की व्यस्त और तनावपूर्ण जीवनशैली के दौर में प्राकृतिक व आयुर्वेदित चिकित्सा बहुत लाभकारी है। डीसीबी बैंक मैनेजर दीपक सिंह ने योग के महत्व पर प्रकाश डाला। आरोग्यश्री मेला समिति के अध्यक्ष डॉ. एमपी सिंह ने कहा कि प्राकृतिक व आयुर्वेदिक चिकित्सा में हर रोग का इलाज सम्भव है। बीमारियों से दूर रहने में योग का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिए हर व्यक्ति को प्रतिदिन योग अवश्य करना चाहिए।
इन्होंने लिया हिस्सा
उद्घाटन सत्र के उपरान्त आयोजित कार्यशाला व ट्रेनिंग में नर्सिंग, फार्मेसी व आयुवेदिक चिकित्सा के लगभग 90 विद्यार्थियों ने भाग लिया। जिसमें डॉ. अभिनव चतुर्वेदी ने फिजियोथैरपी की एडवान्स तकनीक डॉ. वासुदेव कुशवाह ने मेडिटेशन, डॉ. अजय कुमार यादव ने प्राकृतिक चिकित्सा, योग, डॉ. मयंक अग्रवाल ने नो योर नम्बर (बीपी, शुगर आदि का स्तर) एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉ. वीके सोनकर ने चर्मरोग, डॉ. शशि सोनकर ने प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में जानाकरी दी।
इस अवसर पर मुख्य रूप से पूर्व चिकित्साधिकारी आगरा डॉ. आरबी शर्मा, आरोग्यश्री सुगना फाउंडेशन के संरक्षक बीरम सिंह,एस पी सिंह, सवाई सिंह राजपुरोहित डा़ं शिवालिक शर्मा कमल सिंह, राखी दक्ष, बाबूलाल जैन, भगवती प्रसाद, प्रताप सिंह सिसोदिया आदि उपस्थित थे। प्रकृति के साथ ही प्रारम्भ हुई प्राकृतिक चिकित्सा
प्रकृति के साथ ही प्रारम्भ हुई प्राकृतिक चिकित्सा से आगरा के आम जन लिया लाभ
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