स्वतंत्रता सेनानी को सुमेरपुर की जनता ने निर्विरोध चुना था पहला बाबूलाल राजगुरु 1949 मे -पुण्यतिथि पर विशेष
समेरपुर के लोहा पुरुष श्री बाबूलाल जी राजगुरु प्रथम सरपंच एवं स्वतंत्रता सेनानी की 57वी पुण्यतिथि के उपलक्ष में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है इस उपलक्ष में आप सभी सादर आमंत्रित हैं कार्यक्रम स्थल राजगुरु सर्किल समेरपुर पाली
दिनांक 19 जून 2019 सुबह 9:30 बजे
आइए जानते हैं उनके जीवन पर कुछ विशेष जानकारी और उपलब्धियां
पावटा क्षेत्र के पलासिया खुर्द गाँव के स्वतंत्रता सेनानी व प्रथम सरपंच बाबूलाल राजगुरु की पुण्यतिथि बुधवार को मनाई जाएगी। सुमेरपुर के पहले सरपंच बाबूलाल राजगुरु, 1949 में ग्रामीणों ने निर्विरोध चुना था।
जानकारी के अनुसार स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु सुमेरपुर ग्राम पंचायत बनने के बाद लगातार चार बार सरपंच पद पर रहे। उनका जन्म सन 1911 में पावटा क्षेत्र के ग्राम पलासियाखुर्द गाँव के मोतीसिंह राजपुरोहित के घर में जन्म हुआ था। साधारण पढ़ाई-लिखाई के बाद उन्होंने पुस्तकों और स्टेशनरी की एक दुकान खोल ली। इससे उनका संपर्क शिक्षा विदो के साथ बढ़ने के साथ ही विविध विषयों का ज्ञान भी बढ़ता गया। उन्होंने सन 1941 में सुमेरपुर साहित्य कुल की स्थापना की। सन 1955 में पाली जिला पत्रकार संघ के उपाध्यक्ष पद पर चुने गए थे। एवं सन 1948 में उन्होंने प्रौढ़ शिक्षा संघ सुमेरपुर की स्थापना की और संघ के प्रथम मंत्री चुने गए। उन्होंने 1949 में सर्वोदय वाचनालय की स्थापना की थी। सन् 1958 में राजगुरु दी सुमेरपुर को.ऑपरेटिव मार्केटिंग सोसायटी लिमिटेड के अध्यक्ष पद पर चुने गए। वे जिला कांग्रेस कमेटी के कार्यकर्ता रहे एवं उपाध्यक्ष, मंत्री सहित कई पदों पर वर्षों तक रहे।
जवाई बांध रोड पर है राजगुरु का स्मारक
स्वतंत्रता सेनानी बाबूलाल राजगुरु के नाम से जवाई बांध रोड पर राजगुरु सर्कल निर्मित है। जोधपुर संभाग के स्वतंत्रता सेनानियों ने उनके पुत्र मंगलसिंह राजगुरु को उस समय कहा कि पूरा सुमेरपुर राजगुरु के स्मारक के रूप में पहचाना जाता है।
सुमेरपुर ग्राम पंचायत के प्रथम सरपंच रहे राजगुरु सुमेरपुर ग्राम पंचायत बनने पर सन 1949 में पहले ग्राम पंचायत चुनावों में ग्रामीणों ने सरपंच चुना था। ग्रामीणों ने हाथ खड़े कर मतदान किया था, क्योंकि उस समय वोटर लिस्ट नहीं थी। ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से राजगुरु को सुमेरपुर ग्राम पंचायत के प्रथम सरपंच चुना था। इसके बाद वे लगातार चार बार सरपंच पद पर काबिज रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान सुमेरपुर में कई सरपंच सम्मेलन करवाते हुए एक आदर्श गांव के रूप में सुमेरपुर की पहचान राजस्थान में बनवाई।
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