आचार्य तुलसी की मासिक पुण्यतिथि पर ‘‘रूढि़ उन्मूलन एवं व्यसन मुक्ति में आचार्य तुलसी का योगदान’’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित
गंगाशहर
ईश्वर ने मनुष्य को समृद्ध बनाया ताकि वह अपने आप को विकसित कर सके। लेकिन आज विकसित और आगे बढ़ने की लालसा में मनुष्य अपने आप का दुश्मन बन गया है। मिलावट और कैमिकल्स के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण आज क्षेत्र-क्षेत्र में कैंसर, कण-कण में कैंसर फैल रहा है। एक गुटखे के विज्ञापन का जिक्र करते हुए कहा कि ‘‘दाने-दाने में केसर का दम जबकि दाने-दाने में कैंसर का दम’’। यह विचार आचार्य तुलसी की मासिक पुण्यतिथि पर ‘‘रूढि़ उन्मूलन एवं व्यसन मुक्ति में आचार्य तुलसी का योगदान’’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी के मुख्य वक्ता शिक्षा निदेशक, श्यामसिंह राजपुरोहित ने कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य अगर आत्मा का मित्र बन जाता है तो वह आत्मा को जीत लेता है और प्रज्ञा से विमुख होकर अपनी आत्मा का ही शत्रु बन जाता है। आज चलित वाहनों में क्या-क्या डलवाना है वह सभी अच्छे से जानते हैं लेकिन अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए क्या करना चाहिए उसका विवेक खो रहे हैं। उन्होंने कहा कि नशा एक तरह का प्रज्ञा अपराध है। मनुष्य आज नशे का आदी होता जा रहा है जैसे धूम्रपान, चरस, तम्बाकू आदि नशीली चीजों के व्यसन से अपना ही नहीं अपने पूरे परिवार को अंधेरे में डाल रहा है। उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी ने हमेशा हर जाति वर्ग को व्यसन से दूर रहने के लिए प्रेरित किया है। आचार्यश्री तुलसी का कथन था कि शब्द का आदमी पर तब तक असर नहीं करता जब तक कि वह उस शब्द के भावों का अर्थ नहीं समझता। जाप करने से हमारे शरीर को एक ऊर्जा मिलती है। उन्होंने कहा कि हमारे शरीर में दो तरह की बिल्लियां रहती होती है एक अच्छे कर्म की और दूसरी बुरे कर्म की। आदमी को हमेशा अच्छे कर्म के रास्ते पर चलना चाहिए।
श्यामसिंह राजपुरोहित ने कहा कि ऐसी अनेक रूढि़यां है जिन पर शोध की जाये तो वास्तव में हकीकत कुछ और होती है। उन्होंने उदाहरण के माध्यम से समझाया कि पुराने युग में स्त्रियां श्रम बहुत करती थी अतः मासिक धर्म के समय उन्होंने कुछ विश्राम दिया जाता था परन्तु कालान्तर में यह प्रथा रूढि़ बन गयी और कई जगहों पर मासिक धर्म के समय उन्हंे छूना भी अधर्म-समझा जाने लगा।
शासनश्री मुनिश्री मणिलाल जी ने कहा कि आर्चाश्री तुलसी ने रूढि़वाद पर प्रभावी चिंतन व्यक्त करने के साथ समाज में, राष्ट्र में छायी हुई रूढि़वाद की मनोवृत्तियों से समाज को मुक्त करने के लिए भागीरथी प्रयास किया। आम जनता को प्रशस्त मार्ग दर्शन के साथ व्यसन मुक्त जीवन की ओर प्रारश्रित किया। महान संत ने जन जीवन महानता को मुखरित करने का प्रयास किया। मुनिश्री ने कहा कि भारत जैसे देश में अनेक रूढि़या मौजूद है। आचार्यश्री भिक्षु ने लड़के के जन्म पर थाली बजाने और लड़की के जन्म पर संताप करने की कुप्रथा का विरोध किया और जब आचार्य भिक्षु गृहस्थ जीवन में थे तब उनके लड़की हुई तो उन्होंने पूरे गांव में मिठाई बांटी। मुनिश्री ने कहा कि रूढि़यों को पहचानकर उसका उन्मूलन करना चाहिए। हम जितना उसके तह में जाएंगे उतना ज्यादा हम उसके बारे में जान पाएंगे। मुनिश्री ने उपस्थित सभी बच्चों और युवाओं को शपथ दिलाई कि कोई भी किसी भी प्रकार का नशा नहीं करेंगा और इसके साथ नशे को छोड़ने के उपाय भी विस्तारपूर्वक बताये। जिस पर सैंकड़ों बच्चों ने मांसाहार न करने एवं अंडे न खाने के संकल्प किए।
मुनिश्री कुशलकुमारजी ने कहा कि मूढ़ लोगों के कारण समाज में रूढि़वाद की प्रवृत्तियों को जन्म देने, फलने-फुलने का अवसर मिलता है। गुरुदेव आचार्यश्री तुलसी ने स्वर्णिम समाज के निर्माण के लिए रूढि़वाद की जंजीरों को तोड़ गिराया है।
आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने शासनश्री मुनिश्री मणिलाल जी एवं मुनिश्री कुशलकुमारजी का स्वागत एवं अभिनन्दन किया तथा आचार्य महामश्रण जी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने नैतिकता का शक्तिपीठ पर मुनिवृन्दों का प्रवास प्रदान किया। छाजेड़ ने राजपुरोहित समाज एवं उपस्थित जनसमुदाय का स्वागत करते हुए कहा कि प्रत्येक महीने अलग-अलग समाज के साथ संवाद करने का क्रम आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान ने प्रारम्भ किया है। क्योंकि आचार्य तुलसी का प्रत्येक वर्ग के साथ सम्बन्ध था। उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी ने चूल्हे चौके तक सीमित रहने वाली महिलाओं को समाज का नेतृत्व करवाया। नया मोड़ कार्यक्रम से रूढि़यां हटायी तथा भारतीय संस्कार निर्माण समिति से गांव-गांव में शराब बन्दी एवं व्यसन मुक्ति का आंदोलन चलाकर लोगों का जीवन निर्माण किया।
संगोष्ठी के दौरान कन्या मण्डल संयोजिका कोमल चौपड़ा ने विचार व्यक्त किया। भरत संचेती ने कविता ‘‘नशे में डूब कर तू दिखाता है जो लाचारी, नशे में जिंदगी बर्बाद कर लूटा है तेरा घर’’ का संगान किया जिसे उपस्थित सभी ने बहुत सराहा। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता श्यामसिंह राजपुरोहित का अमरचन्द सोनी, जतनलाल दूगड़, गिरीराज खैरीवाल, विजेन्द्र छाजेड़, मनोहरलाल नाहटा व जीवराज सामसुखा ने स्मृति चिन्ह, जैन पताका व साहित्य भेंट कर सम्मान किया। इसी कड़ी में मनोज राजपुरोहित का पवन छाजेड़, राजेन्द्र बोथरा व इन्द्रचन्द सेठिया व पीयूष लूणिया ने सम्मान किया। कार्यक्रम में सीबीआई के परामर्शक के.एल. शर्मा, डायरेक्टर लोकसभा प्रहलाद मयूंसी, सुरजाराम राजपुरोहित, गुमानसिंह राजपुरोहित, राजुसिंह, सुरेन्द्र सिंह, करणीसिंह, बाबूसिंह, पत्रकार अशोक सिंह राजपुरोहित, पार्षद उम्मेद सिंह, मनोज राजपुरोहित, बाबूलाल महात्मा, गंगाशहर महिला मण्डल अध्यक्ष मंजू आंचलिया, जतन संचेती, अनिल सेठिया, राजपुरोहित युवा विकास मण्डल, संत श्री खेतारामजी महाराज मन्दिर ट्रस्ट, गंगाशहर, खेतेश्वर सेवा समिति, राजपुरोहित सभा संस्था, बीकानेर, किशोर मण्डल, कन्या मण्डल के पदाधिकारी व सदस्य सहित अनेक गणमान्य जन शामिल हुए। मंगलाचरण कन्हैयालाल, भंवर लाल एवं प्रकाश डाकलिया बंधुओं ने किया। संगोष्ठी में विद्या निकेतन स्कूल, सेन्ट श्री खेतेश्वर स्कूल व संत तुलछाराम विद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित हुए। मंच का सफल संचालन मनोज सेठिया ने किया।
प्रेषक जैन लूणकरण छाजेड़ अध्यक्ष