राजपुरोहित है हम
हम मेँ है दम,
डर किसी से लगता नहीँ
सर किसी से झुकता नहीँ,
पुरोहित कुल मेँ जन्म लिया है
दाता का नाम रोशन किया है
हमेँ नाज है खेतेश्वर महाराज से
हम तो है राजपुरोहित समाज से....!
इज्जत करना इज्जत देना यही हमारा कर्म है
इंसान सेवा समाज सेवा यही हमारा धर्म है
हमेँ प्यार है अपनी लाज से
हम तो है राजपुरोहित समाज से....!
आन हमारी शान है जान उस पे कुरबान है
दाता ही ईश्वर दाता ही भगवान है
दाता ही है सबकुछ
हमेँ क्या मतलब किसी सरताज से
हम तो है राजपुरोहित समाज से....!
हर क्षेत्र मेँ कामयाब हुए है
मिठाई मेँ तो लाजवाब हुए है
दाता की करपा बनी हूई है
हमेँ आलस नहीँ कामकाज से
हम तो है राजपुरोहित समाज से....!
स्वर्ग से सुँदर है आसोतरा ब्रह्माधाम
कर दिया दाता ने दुनिया मेँ नाम
मिलेगी मंजिल करो मनोकामना
खेतेश्वर महाराज से
हम तो है राजपुरोहित समाज से....!
दाता का जयकारा करता हुँ
बारम्बार नमस्कार करता हुँ
हर राजपुरोहित से गुजारिश करता हुँ
आप भी बढाओ हाथ
मिल के 'नरपत राज' से
हम तो है राजपुरोहित समाज से....।
जय दाता री सा ।
कविता भेजने वाले
श्री नरपत सिंह राजपुरोहित
प्रस्तुतकर्ता :-
सवाई सिंह राजपुरोहित आगरा
{सदस्य}
सुगना फाऊंडेशन-मेघलासिया जोधपुर
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यहां तक आने के लिये सधन्यवाद.... आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
बहुत सुन्दर कविता
ReplyDeleteराजपुरोहित है हम ..हम मेँ है दम,....श्री नरपत सिंह
ReplyDeleteराजपुरोहित है हम
हम मेँ है दम,
डर किसी से लगता नहीँ
सर किसी से झुकता नहीँ,
पुरोहित कुल मेँ जन्म लिया है
दाता का नाम रोशन किया है
हमेँ नाज है खेतेश्वर महाराज से
हम तो है राजपुरोहित समाज से....!
इज्जत करना इज्जत देना यही हमारा कर्म है
इंसान सेवा समाज सेवा यही हमारा धर्म है
हमेँ प्यार है अपनी लाज से
हम तो है राजपुरोहित समाज से....!
आन हमारी शान है जान उस पे कुरबान है
दाता ही ईश्वर दाता ही भगवान है
दाता ही है सबकुछ
हमेँ क्या मतलब किसी सरताज से
हम तो है राजपुरोहित समाज से....!
हर क्षेत्र मेँ कामयाब हुए है
मिठाई मेँ तो लाजवाब हुए है
दाता की करपा बनी हूई है
हमेँ आलस नहीँ कामकाज से
हम तो है राजपुरोहित समाज से....!
स्वर्ग से सुँदर है आसोतरा ब्रह्माधाम
कर दिया दाता ने दुनिया मेँ नाम
मिलेगी मंजिल करो मनोकामना
खेतेश्वर महाराज से
हम तो है राजपुरोहित समाज से....!
दाता का जयकारा करता हुँ
बारम्बार नमस्कार करता हुँ
हर राजपुरोहित से गुजारिश करता हुँ
आप भी बढाओ हाथ
मिल के 'नरपत राज' से
हम तो है राजपुरोहित समाज से....।
जय दाता री सा ।