ना मैँ गरिब हुँ
ना मैँ अमीर हुँ ,
ना मैँ नेता हुँ
ना मैँ अभिनेता हुँ ,
ना मैँ खिलाङी हुँ ,
ना मैँ अनाङी हुँ ,
मैँ हुँ अपने वतन का रक्षक
दुश्मनोँ का भक्षक ,
मैँ हुँ युद्धवीर
देता दुश्मन को चीर ,
मैँ हुँ एक इंसान परिँदा
जो उठाये आँख वतन पर
नहीँ रहता वो जिँदा ,
मैँ हुँ एक भयानक कहर ,
सोचे जो वतन का बुरा
उङ जाये वो जालिम जहर ,
मैँ हुँ एक वतन का प्रेमी
माँ भारती की रक्षा करता हुँ ,
आये तो माता से लङने
उसे भक्षा करता हुँ ,
मैँ हुँ हिन्दु कट्टर
धर्म का पालनहारी ,
जिसे हिन्द से नफरत
वो करो भागने की तैयारी .
मैँ माँ भारती का
तन मन धन से बाँडीगार्ड ,
जो करे माँ पर विप्पदा
उस काट देता हुँ जीवन कार्ड ,
किसी ने नहीँ पहचाना
मुझे अगर
तो मैँ हु आपका और वतन का "हमसफर" ।
रचना भेज ने वाले
युवा कवि श्री नरपतसिंह राजपुरोहित हमसफर
https://www.facebook.com/prem.rajpurohit.98
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यहां तक आने के लिये सधन्यवाद.... आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
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