करवा चौथ का निभाया धर्म
करीब 20 वर्ष पूर्व बालोतरा सिंहा पुरोहितों का वास छतरियों का मोर्चा निवासी खम्मा की शादी घुंघट (सिवाना) के जीवराजसिंह राजपुरोहित के साथ हुई तो खम्मा के मन में भी पति के साथ शुरू हो रहे नवजीवन को लेकर कई उम्मीदें जग रही थीं। पति जीवराजसिंह की हुबली (कर्नाटक) में इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान थी और घर-आंगन में खुशियां ही खुशियां थी। शादी के बाद एक वर्ष तक सबकुछ ठीक चला, मगर इसके बाद खुशहाल परिवार को किसी की ऐसी नजर लगी कि खम्मा का जीवन संघर्ष की कहानी बन गया।शादी के एक वर्ष बाद अचानक पता चला कि जीवराजसिंह की एक किडनी खराब है। ग्रामीण परिवेश में रहने के कारण पहले झाड़-फूंक का सहारा लिया गया। कई देवी-देवताओं के धोक लगाई, मगर धीरे-धीरे जीवराजसिंह की दूसरी किडनी भी दगा दे गई। इस दरम्यिान इलाज पर इतना खर्चा हुआ कि खम्मा की आर्थिक स्थिति भी काफी खराब हो गई। मगर खम्मा (अब 40 वर्ष) ने बिल्कुल अकेले रहते हुए भी हार नहीं मानी और सावित्री की तरह अडिग रहते हुए हर कीमत पर अपने पति की जान बचाने की ठान ली। खम्मा के संघर्ष में उसके पीहर पक्ष ने पूरा साथ दिया। परिजनों की राय पर खम्मा अपने पति को नाडियाद (गुजरात) स्थित मूलजी भाई पटेल हॉस्पिटल ले गई, जहां वे करीब छह माह तक डायलिसिस पर रहे। इस दौरान खम्मा ने अपनी किडनी की जांच कराई तो चिकित्सकों ने बताया कि उसकी किडनी जीवराजसिंह की किडनी से मेल करती है। अब खम्मा के सामने संकट था रुपयों का, जिसके लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार से भी गुहार लगाई गई। राज्य सरकार से उसे 60 हजार रुपए मिले, वहीं केंद्र सरकार से भी इलाज के लिए तीन लाख रुपए की स्वीकृति मिल गई। करीब 20 दिन पहले ऑपरेशन हुआ और खम्मा की किडनी उसके पति जीवराजसिंह को ट्रांसप्लांट कर दी गई। खम्मा के भाई हंसराजसिंह राजपुरोहित व भावेशकुमार राजपुरोहित ने बताया कि आखिर खम्मा का 20 वर्षों का संघर्ष रंग लाया और आज जीवराजसिंह व खम्मा दोनों नाडियाद अस्पताल में ही है। चिकित्सकों ने बताया कि दोनों एकदम स्वस्थ है और किडनी ट्रांसप्लांट सक्सेसफुल रहा।
करीब 20 वर्ष पूर्व बालोतरा सिंहा पुरोहितों का वास छतरियों का मोर्चा निवासी खम्मा की शादी घुंघट (सिवाना) के जीवराजसिंह राजपुरोहित के साथ हुई तो खम्मा के मन में भी पति के साथ शुरू हो रहे नवजीवन को लेकर कई उम्मीदें जग रही थीं। पति जीवराजसिंह की हुबली (कर्नाटक) में इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान थी और घर-आंगन में खुशियां ही खुशियां थी। शादी के बाद एक वर्ष तक सबकुछ ठीक चला, मगर इसके बाद खुशहाल परिवार को किसी की ऐसी नजर लगी कि खम्मा का जीवन संघर्ष की कहानी बन गया।शादी के एक वर्ष बाद अचानक पता चला कि जीवराजसिंह की एक किडनी खराब है। ग्रामीण परिवेश में रहने के कारण पहले झाड़-फूंक का सहारा लिया गया। कई देवी-देवताओं के धोक लगाई, मगर धीरे-धीरे जीवराजसिंह की दूसरी किडनी भी दगा दे गई। इस दरम्यिान इलाज पर इतना खर्चा हुआ कि खम्मा की आर्थिक स्थिति भी काफी खराब हो गई। मगर खम्मा (अब 40 वर्ष) ने बिल्कुल अकेले रहते हुए भी हार नहीं मानी और सावित्री की तरह अडिग रहते हुए हर कीमत पर अपने पति की जान बचाने की ठान ली। खम्मा के संघर्ष में उसके पीहर पक्ष ने पूरा साथ दिया। परिजनों की राय पर खम्मा अपने पति को नाडियाद (गुजरात) स्थित मूलजी भाई पटेल हॉस्पिटल ले गई, जहां वे करीब छह माह तक डायलिसिस पर रहे। इस दौरान खम्मा ने अपनी किडनी की जांच कराई तो चिकित्सकों ने बताया कि उसकी किडनी जीवराजसिंह की किडनी से मेल करती है। अब खम्मा के सामने संकट था रुपयों का, जिसके लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार से भी गुहार लगाई गई। राज्य सरकार से उसे 60 हजार रुपए मिले, वहीं केंद्र सरकार से भी इलाज के लिए तीन लाख रुपए की स्वीकृति मिल गई। करीब 20 दिन पहले ऑपरेशन हुआ और खम्मा की किडनी उसके पति जीवराजसिंह को ट्रांसप्लांट कर दी गई। खम्मा के भाई हंसराजसिंह राजपुरोहित व भावेशकुमार राजपुरोहित ने बताया कि आखिर खम्मा का 20 वर्षों का संघर्ष रंग लाया और आज जीवराजसिंह व खम्मा दोनों नाडियाद अस्पताल में ही है। चिकित्सकों ने बताया कि दोनों एकदम स्वस्थ है और किडनी ट्रांसप्लांट सक्सेसफुल रहा।
साभार :- भास्कर न्यूज. बालोतरा
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