ब्रह्मर्षिचार्य , बाल ब्रह्मचारी , अनन्त श्री विभूषित श्री श्री 1008 श्री तुलछारामजी महाराज गादीपति व्रम्हा सावित्री सिद्ध पीठ ब्रह्मधाम आसोतरा ।
गुरु महाराज श्री खेताराम जी महाराज की सद प्रेरणा व आशीर्वाद से आज राजपुरोहित समाज का गौरव व ख्याति आज सम्पूर्ण भारत वर्ष में चर्चित है । चाहे । वह चार धाम का चातुर्मास हो या भारत के पवित्र स्थलों व तीर्थों पर भव्य चातुर्मास करके समाज को संस्कार व सदबुध्दि के लिए धार्मिक प्रकृति को बढ़ावा दिया जिसके कारण आज समाज बुलंदियों को छू रहा है । भारत में बहुत से धर्म , समाजवजातियां है । परन्तु राजपुरोहित समाज की अपनी एक अलग पहचान है । राजपुरोहित नाम आते ही लोग कहते है यह तो गुरू देव खेतारामजी के भक्त है । साथ ही ब्रह्मधाम आसोतरा का नाम लेते है । गुरू महाराज श्री तुलछारामजी ने भी अद्वितीय कार्य किये है । जो आज तक के इतिहास में किसी सन्त श्री ने नहीं किया । आप ने ब्रह्मधाम आसोतरा से द्वारिका धाम तक दस हजार भक्त भाविकों का पैदल यात्रा का संघ लेकर गये । इससे पूर्व कहा जाता है कि पैदल संघ लेकर मीरां बाई गई थी । वस्तु द्वारिका धाम तक अकेली मीरा बाई पहुँची थी । वो वापस नहीं आई थी । वह भगवान द्वारिकाधीश की मूर्ति में समाहित हो गई । जन्तु गुरू महाराज तुलछारामजी ने वहाँ पर पहुंचकर चार माह तक चातुर्मास किया । और अद्वितीय कार्य भव्य कैलाश मान सरोवर पर 70 से ज्यादा समाज बन्धुओंको लेकर कैलाश मानसरोवर के दर्शन लाभ प्राप्त किया । साथ ही भारत के बाहर हिन्दू राष्ट्र नेपाल में आप ने चातुर्मास करके वहां के धार्मिक तीथों के दर्शनव पूजा का अवसर प्रदान किया इसके बाद आप ने सबसे बड़ा कार्य बहाधाम आसोतरा में किया जिसकी जानकारी सम्पूर्ण भारत वर्ष में चर्चित है । गुरु महाराज 1008 श्री खेतारामजी महाराज की 100 वीं जयन्ती पर भव्य जन्म शताब्दी महामहोत्सव के रूप में ब्रह्मासक महायज्ञ का आयोजन किया गया । कहा । जाता है इससे पूर्व ब्रह्मासक यज्ञ दो बार पृथ्वी लोक पर हो चुके है । पहला स्वयं ब्रह्माजी ने पुष्कर राज में ब्रह्माजी मन्दिर निर्माण के समय किया था ।
एक श्री 1008 ब्रह्मावतार , समाजसुधारक , कुल रक्षक श्री खेतारामजी महाराज ने ब्रह्म सावित्री मंदिर आसोतरा की प्राण प्रतिष्ठा के समय में किया गया और तीसरा ब्रह्यासक यज्ञ श्री गुरु महाराज श्री तुलछारामजी ने आसोतरा में 23 अप्रेल 2012 तक करवाया साथ ही पहली बार सृष्टि रचियता भगवान ब्रह्माजी व खेतारामजी की श्री ब्रह्म खेतेश्वर भागवत का वाचन सन्त श्री वेदाताचार्य ध्यानाराम जी नहाराज के मुखारविन्द से सप्त दिवस तक किया गया । इसके अलावा भी इसे बहुत से पुण्यार्थ कार्य सम्पन्न करवाये । आपने आसोतरा में ब्रह्म सरोवर पर श्री माँता गायत्री महायज्ञ का अयोजन तो कई बार करके समाज में समृध्दि , प्रगति . एकता व सदबुध्दि के लिए यज्ञ में आहुतियां दी गई ।
Post send by Om prakash Rajpurohit Meghlasiya
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