राजपुरोहित होकर राजपुरोहित का,
आप सभी सम्मान करो!
सभी राजपुरोहित एक हमारे,
मत उसका नुकसान करो!
चाहे राजपुरोहित कोई भी हो,
मत उसका अपमान करो!
जो ग़रीब हो, अपना राजपुरोहित
धन देकर धनवान करो!
हो गरीब राजपुरोहित की बेटी,
मिलकर कन्या दान करो!
अगर लड़े चुनाव राजपुरोहित ,
शत प्रतिशत मतदान करो!
हो बीमार कोई भी राजपुरोहित ,
उसे रक्त का दान करो!
बिन घर के कोई मिले राजपुरोहित ,
उसका खड़ा मकान करो!
अगर राजपुरोहित दिखे भूखा,
भोजन का इंतजाम करो!
अगर राजपुरोहित की हो फाईल,
शीघ्र काम श्रीमान करो!
राजपुरोहित की लटकी हो राशि,
शीघ्र आप भुगतान करो!
राजपुरोहित को अगर कोई सताये,
उसकी आप पहचान करो!
अगर जरूरत हो राजपुरोहित को,
घर जाकर श्रमदान करो!
अगर मुसीबत में हो राजपुरोहित ,
फौरन मदद का काम करो!
अगर राजपुरोहित दिखे वस्त्र बिन,
उसे अंग वस्त्र का दान करो!
अगर राजपुरोहित दिखे उदास,
खुश करने का काम करो!
अगर राजपुरोहित घर पर आये,
तो जय रगुनाथजी री ,या
जय गुरुदेव री बोल सम्मान करो!
अपने से हो बड़ा राजपुरोहित
उसको आप प्रणाम करो!
हो गरीब राजपुरोहित का बेटा,
उसकी मदद तमाम करो!
बेटा हो गरीब राजपुरोहित का पढ़ता,
कापी पुस्तक दान करो!
जय राजपुरोहित समाज
यदि आप राजपुरोहित समाज का विकास करना चाहते है तो यह कविता प्रत्येक राजपुरोहित तक पहुंचनी चाहिये ।
विशेष सूचना :- इस कविता का लेखक कौन है यह तो मुझे जानकारी नहीं लेकिन फेसबुक पर मुझे कविता अच्छी लगी तो मैं आप लोगों के लिए इसे यहां पर शेयर की है इस कविता से जुड़ी हुई थी जानकारी आपके पास है तो हमें व्हाट्सएप 9286464911 करें ताकि हम उसे सही नाम से प्रकाशित कर सके.
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