आइए जानते हैं कैसे आया पूज्य गुरुदेव संत श्री खेतेश्वर महाराज को ब्रह्मधाम आसोतरा बनाने का विचार. शौर्य प्रताप (सवाई)सिंह
श्री खेतारामजी सराणा अपने प्रेतक गाव से भक्ति की मार्ग पर चल पड़े थे। श्री गणेशानंद जी महाराज से गुरुदीक्षा ली। और भक्ति पथ पर चल पड़े। उन्होंने रामदेवजी, महादेवजी ओर अन्य देवी देवताओं के भिन्न भिन्न स्थान पर मन्दिर बनवाये।
श्री खेतारामजी ने एक बार विचार किया मुझे पीपाजी महाराज का भी एक मंदिर बनाना चाहिए तो वे एक गाव में गए और समस्त गाव वालो को साथ बिठाया एक जाजम पर ओर मन्दिर हेतु चढ़ावे की बात कही।
किसी ने 10 किसी ने 11 किसी नें 25 रुपये बोले उसमे से एक दर्जी भाई ने श्री खेतारामजी को उस जाजम पर बेबाक बोल दिया की बावजी आप पीपाजी रे मन्दिर सारू कियू पिसा भेला करो हो मोरो समाज तो सबसु छोटो है।
आपरो राजपुरोहित समाज काफ़ी बड़ो है आप उनो रा पिसा भेला करो। मोरो समाज पाड़े कई कोनी है।
जाजम पर बैठे अन्य गाव वालो ने उन दर्जी को तलाड़ कर बैठा दिया के दिकीजै कोनी आगे कुन है कोई सन्त है।
तब श्री खेताराम जी माहाराज को मन मे हुआ कि दर्जी एक दम सही बोल रहा है। मुझे मेरे समाज को एक जाजम पर लाना होगा और उसके लिए कुछ करना होगा।
ब्रह्माजी भगवान और सावित्री माता का मंदिर बनवाना ही अब मेरा एकमात्र उद्देश्य है। तबसे गुरु महाराज जी का एक ही उद्देश्य को लेकर और हम सबको दिया ब्रह्मधाम आसोतरा विश्व का दूसरा ब्रह्मा मंदिर
जय हो गुरुमाहराज री
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