राजपुरोहित सेवा संगठन द्वारा सेवा, जीवदया और जनकल्याण के कार्यों की श्रृंखला निरंतर गतिशील है। इसी क्रम में संगठन ने परझाई स्थित वसुंधरा विद्या पीठ इंग्लिश मीडियम स्कूल में अध्ययनरत जरूरतमंद बच्चों के लिए भोजन की जिम्मेदारी उठाकर समाजसेवा का एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। साथ में उनके प्रीति भोजन किया और आगे बच्चो की किस तरह से मदद किया जा सके इसके लिए योजना बना कर उस पर अमल कर रहे हैं।
राजपुरोहित समाज के वरिष्ठजन सुरेशसिंह, वीरेंद्रसिंह, सतीशसिंह, श्यामसिंह, अरविंदसिंह, गोपालसिंह, हनवंतसिंह, सुरेशभाई, भवरभाई जैसे समाजसेवियों ने इस पुनीत कार्य में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। संगठन ने स्पष्ट संदेश दिया कि भगवान दाता खेतेश्वर के आशीर्वाद से समाज को वैभवशाली बनाए रखने के लिए प्रत्येक सदस्य को निस्वार्थ सेवा में तत्पर रहना होगा। समाज के युवाओं से आह्वान किया गया कि वे सामाजिक एकता और अखंडता को बनाए रखते हुए बिना किसी विवाद या भेदभाव के मानव सेवा को प्राथमिकता दें।
गौरतलब है कि यह विद्यालय कक्षा 5वीं तक संचालित है, जहां लगभग 100 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इनमें से 45 से अधिक छात्र-छात्राएं दूरदराज के गाँवों से आते हैं, जिनके लिए रोजाना आना-जाना संभव नहीं था। ऐसे में विद्यालय के संचालक दशरथ माहला ने इन बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपने घर के दरवाजे खोल दिए और उन्हे घर में रखकर उन्हे पढ़ा रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ अपनी पत्नी को अच्छी खासी प्राइवेट नौकरी छुड़ाकर कर बच्चों की देखभाल में लगाया, बल्कि उनके पिता भी इन बच्चों को अपने बच्चों की तरह संरक्षण दे रहे हैं।
समर्पण की मिसाल बने दशरथ माहला परिवार जिस समर्पण और निस्वार्थ भावना से दशरथ माहला और उनका परिवार इन गरीब बच्चों की देखभाल कर रहा है, वह समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत है। प्रदेश के जनप्रतिनिधि, नेता एवं अन्य नागरिक अपने तथा अपने बच्चो के जन्मदिन पर कई सरकारी स्कूलो तथा धार्मिक स्थलों पर सेवा, दान पूण्य एवं प्रीति भोज करते हैं। अगर वे लोग इस विद्यालय के बच्चों के लिए आर्थिक मदद और इनके खाने-पीने समृद्ध वर्ग और नेता करें आगे बढ़कर मदद जरूरतमंद विद्यार्थियों के भविष्य को मिले नई दिशा एवं किताब-कॉपी की व्यवस्था करें तो यह सच्चे अर्थ में सेवा धर्म होगा। यह आवश्यक है कि समाज के सम्पन्न वर्ग और नेता ऐसे विद्यालयों का दौरा कर, जरूरतमंद बच्चों के भविष्य को सँवारने में हाथ बटाएँ।
जरूरतमंद बच्चों के भविष्य के लिए बढ़े कदम प्रदेश के नेताओं और धनाढ्य व्यक्तियों से अपील की गई कि वे अपने जन्मदिन या अन्य आयोजनों पर सिर्फ दिखावा करने के बजाय इस प्रकार के विद्यालयों में आकर जरूरतमंद बच्चों के लिए भोजन और अन्य संसाधन उपलब्ध कराएँ, ताकि समाज में समानता और सेवा की परंपरा मजबूत हो सके। राजपुरोहित सेवा संगठन का यह प्रयास न केवल सेवा का उदाहरण है, बल्कि यह समाज को यह भी सिखाता है कि यदि नीयत साफ हो और संगठन एकजुट हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं। ऐसे कार्य ही समाज की सच्ची वैभवता को बढ़ाते हैं।
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