ऊँ ब्रह्मणे नमः । प्रेम से ही सृष्टि का जन्म होता है, प्रेम से ही उसकी व्यवस्था होती है और अंत में प्रेम में ही वह विलीन हो जाती है प्रेम ही जगत का सार है। इसलिये प्रेम सभा में प्रेम से पधारो सा ऊंंँ तत् सत्!!!
फाइल फोटो |
श्री खेतेश्वर तीर्थ ब्रह्मधाम आसोतरा पर हर वर्ष की भांति इस वर्ष आयोजित श्री गुरू ब्रह्मा प्रेमभाव दिव्य सभा को संबोधित करते हुए अनंत विभूषित ब्रह्मऋषि ब्रह्मचार्य ब्रह्म सावित्री सिद्ध पीठाधीश्वर तुलछाराम महाराज ने कहा कि माता-पिता की सेवा से बढकर कोई तीर्थ नहीं है,
जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में अपने माता-पिता की सच्ची सेवा की है, उसका जीवन स्वत: ही सफल हो जाएगा।
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