ब्रह्मधाम तीर्थ पर गादीपति तुलसाराम महाराज के सानिध्य में दो दिवसीय निशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर का शुभारंभ शनिवार को हुआ। शिविर में पहले दिन ६१५ रोगियों की जांच की गई। तीर्थ एवं ट्रस्ट महामंत्री भंवरसिंह कनाना ने बताया कि ब्रह्माजी का मंदिर एवं राजपुरोहित समाज विकास न्यास व सोसायटी फोर कंपलीट वैल बी इंग तथा जिला अंधता निवारण समिति बाड़मेर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शिविर में मरीजों की जांच कर ६२ रोगियों का ऑपरेशन के लिए चयन किया गया। कनाना ने बताया कि रविवार को चयनित रोगियों का ऑपरेशन किया जाएगा तथा सोमवार को मरीजों को छुट्टी दी जाएगी। शिविर में वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. महेंद्र पालीवाल व डॉ. विकास पालीवाल की ओर से जांच की गई। रविवार को शिविर में नेत्र रोग मोतियाबिंद, काला पानी, टेरेजियम, एंटेरोपियन, नासूर मेन्यूवल फेंको विधि द्वारा लैंस प्रत्यारोपण किए जाएंगे। शिविर में पहले दिन ४५५ चश्मे निशुल्क वितरण किए गए। विश्व कल्याण की कामना को लेकर १७२ यात्रियों का संघ शनिवार को पाली से ब्रह्मधाम पहुंचा। यात्रियों ने श्री ब्रह्माजी का मंदिर, शिव धुणा, लक्ष्मीनारायण मंदिर, शिव मंदिर तथा गुरु मंदिर में दर्शन पूजन कर गादीपति तुलछाराम महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया।
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बात जो दिल को छू गयी : आपके साथ शेयर कर
ReplyDeleteरहा हुँ ::
माँ मैं एक पार्टी में गया था.
तूने मुझे शराब नहीं पीने को कहा था, इसीलिए
बाकी लोग शराब पीकर मस्ती कर रहे थे
और मैं सोडा पीता रहा. लेकिन मुझे सचमुच अपने
पर गर्व हो रहा था माँ,
जैसा तूने कहा था कि 'शराब पीकर
गाड़ी नहीं चलाना'. मैंने वैसा ही किया.
घर लौटते वक्त मैंने शराब को छुआ तक नहीं,
भले ही बाकी दोस्तों ने मौजमस्ती के नाम पर
जमकर पी. उन्होंने मुझे भी पीने के लिए बहुत
उकसाया था.
पर मैं अच्छे से जानता था कि मुझे शराब
नहीं पीनी है और मैंने सही किया था.
माँ, तुम हमेशा सही सीख देती हो. पार्टी अब
लगभग खत्म होने को आयी है और सब लोग अपने-
अपने घर लौटने की तैयारी कर रहे हैं.
माँ, अब जब मैं अपनी कार में बैठ रहा हूँ
तो जानता हूँ कि केवल कुछ समय बाद मैं अपने घर
अपनी प्यारी स्वीट माँ और पापा के पास रहूंगा.
तुम्हारे और पापा के इसी प्यार और संस्कारों ने
मुझे जिम्मेदारी सिखायी और लोग कहते हैं कि मैं
समझदार हो गया हूँ
माँ, मैं घर आ रहा हूँ और अभी रास्ते में हूँ. आज हमने
बहुत मजा की और मैं बहुत खुश हूँ.
लेकिन ये क्या माँ...
शायद दूसरी कारवाले ने मुझे देखा नहीं और ये
भयानक टक्कर....
माँ, मैं यहाँ रास्ते पर खून से लथपथ हूँ.
मुझे पुलिसवाले की आवाज सुनाई पड़ रही है
और वो कह रहा है कि इसने नहीं पी.
दूसरा गाड़ीवाला पीकर चला रहा था.
पर माँ, उसकी गलती की कीमत मैं क्यों चुकाऊं ?
माँ, मुझे नहीं लगता कि मैं और जी पाऊंगा.
माँ-पापा, इस आखिरी घड़ी में तुम लोग मेरे पास
क्यों नहीं हो. माँ, बताओ ना ऐसा क्यों हो गया.
कुछ ही पलों में मैं सबसे दूर हो जाऊँगा.
मेरे आसपास ये गीला-गीला और लाल-लाल
क्या लग रहा है. ओह! ये तो खून है और
वो भी सिर्फ मेरा.
मुझे डाक्टर की आवाज आ रही है जो कह रहे हैं
कि मैं बच नहीं पाऊंगा.
तो क्या माँ, मैं सचमुच मर जाऊँगा. मेरा यकीन
मानो माँ. मैं तेरी कसम खाकर कहता हूँ कि मैंने
शराब नहीं पी थी.
मैं उस दूसरी गाड़ी चलानेवाले को जानता हूँ.
वो भी उसी पार्टी में था और खूब पी रहा था.
माँ, ये लोग क्यों पीते हैं और लोगों की जिंदगी से
खेलते हैं
उफ! कितना दर्द हो रहा है. मानो किसी ने चाकू
चला दिया हो या सुइयाँ चुभो रहा हो.
जिसने मुझे टक्कर मारी वो तो अपने घर
चला गया और मैं यहाँ अपनी आखिरी साँसें गिन
रहा हूँ. तुम ही कहो माँ, क्या ये ठीक हुआ.
घर पर भैया से कहना, वो रोये नहीं. पापा से
धीरज रखने को कहना. मुझे पता है, वो मुझे
कितना चाहते हैं और मेरे जाने के बाद तो टूट
ही जाएंगे. पापा हमेशा गाड़ी धीरे चलाने
को कहते थे.
पापा, मेरा विश्वास करो, मेरी कोई
गलती नहीं थी. अब मुझसे बोला भी नहीं जा रहा.
कितनी पीड़ा! साँस लेने में तकलीफ हो रही है.
माँ-पापा, आप मेरे पास क्यों नहीं हो. शायद
मेरी आखिरी घड़ी आ गयी है. ये अंधेरा सा क्यों लग
रहा है. बहुत डर लग रहा है. माँ-पापा प्लीज़
रोना नहीं. मै हमेशा आपकी यादों में, आपके दिल में
आपके पास ही रहूंगा.
माँ, मैं जा रहा हूँ ।पर जाते-जाते ये सवाल ज़रूर
पूछुंगा
कि ये लोग पीकर गाड़ी क्यों चलाते हैं. अगर उसने
पी नहीं होतीं तो मैं आज जिंदा, अपने घर, अपने
परिवार के साथ होता.
मित्रो, इसको ज्यादा से ज्यादा लोगों तक
पहुँचाए ताकि किसी के शराब पीकर गाड़ी चलाने
से किसी और के घर का चिराग ना बुझने पाये ।