🚩जलम भोम री बात 🚩
मोटो गाँव तालकिया ने बड़ला वाली छाह ।
तीन हथाई वालो बास हैं
वाह तालकिया वाह।।
जल गहरो गहरी समझ
गहरो ज्ञान अथाह ।
मोत्याॅ मुहंगा नर अठे
वाह तालकिया वाह।।
अन्न घणा मिरचो निपजे
बरसे मेह घणाॅय ।
तो बिन घड़ी न आवडे
वाह तालकिया वाह।
कॅवरा भॅवरा ठाकराॅ
सोहे शुभराजाॅह ।
"'नेन्यो" कुल कीरत कथे
वाह तालकिया वाह ।।
पुरूष जठे पुरषारथी
पूगे पर देसाॅह ।
सैठ बण धन संचणा
वाह तालकिया वाह।।
इण खाण्या हीरा निपेह
लाखीणी लालाॅह ।
दंग देख जग जौहरी
वाह तालकिया वाह।।
धिन धिन गाँव तालकिया धिन तालकिया री शान ।
भोजराज जेडा सूरवीर हुआ
पायो अनूथो मान ।।
धन्य धन्य भोजराज
धन्य कुल उदा राठौड ।
धन्य धरा मरूधरा
जन्मे शूरा सिरमौड ।।
चौदहवीं वर्ष गाँठ पर राजस्थानी दोहे
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वीर शिरोमणि दादोसा भोजराजसिंहजी, ठिकाना तालकिया
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आडो रहयो उदा रे दिल ' सुध ' भोजराज ।
जीवण भर रण जूझियो अमर हुआ महाराज ।।
कूपसिंघ रो वंश कहिजे
शूर वीरों री खान ।
तिंवरी ज्यो रो गढ कहिजे
जग चावी ओलखाण ।।
उदावत सिंधल घमासान मे
पिण्ड तज दिया प्राण ।
अगवानी री अम्रता
जाहर हुयी जोधांण ।।
जैतारण मुक्ति तन तज्यो
रिपुआॅ कीन ख्लाॅह ।
जग अॅजसे भोजराज ने
वाह तालकिया वाह।।
कियो अणूथो काम
मालिक री मनसा मुजब ।
आखिर पाय ईनाम
सेवा कारण शिरोमणि ।।
सम्वत् पन्द्रह सौ पिचतर
जेठ मास वद दूज ।
उदो शासन सोपियो
भोजराज पग पूज ।।
धन्य गाँव तालकिया
जिणरो नाम गूँजे सब ओर ।
भोजराज जेडा सूरवीर हुआ
मिरचो लिये मशहूर ।।
तालकिया गौरव लिखियो
कवि आज किशोराय ।
बुध तेरस वैशाख वद
वाह तालकिया वाह ।।
🙏✍🙏
किशोरसिंह राजपुरोहित तालकिया
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