"शिक्षक का अर्थ"
शि- शिखर तक ले जाने वाला
क्ष - क्षमा की भावना रखने वाला
क - कमजोरी दूर करने वाला
अर्थात जो विधार्थी की हर गलती को क्षमा करने की भावना रखता हैं और उसकी हर कमजोरी दूर कर उसको शिखर ( सफलता ) तक ले जाता है । वही सच्चा शिक्षक हैं । ऐसे ही मै अपने सभी गुरुजनों को प्रणाम और चरण वंदन करता हूं।
आज किस पोस्ट मैं फेसबुक से लेकर आए हैं जो कि भाई और कवि नरपत सिंह राजपुरोहित द्वारा लिखित रचना है आशा करता हूं आप सभी को पसंद आए।
मेरे जीवन मे हर शिक्षक का बहुत महत्व रहा है और सभी के लिए हृदय में अथाह सम्मान है। मेरे को शिक्षित करने वाले गुरुजनों के लिए मेरी लिखी कुछ पंक्तियां समर्पित है -
मात-पिता रो मान है ,,,,,, प्रथम गुरु उपकार ।
जग(में) सिखायो जीवणो , दीनो साचो सार ।।
पेली पोथी पढ़ाई ;,,,,,,,, नींव है नारायणराम जी ।
क सूं कबूतर सिख्यो म्हे ; व्हे शिक्षा आळो धाम जी ।।
याद रह्या यादों में हरमेश ; कड़े नियम रा कानजी ।
गणित में गजब पढाया ;,,,, माड़साब थे मान जी ।।
मन मस्तिष्क रे मांय'ने ; डूंगर जी रा डेरा हा ।
संस्कारी शिक्षा आळा ; माड़साब व्हे मेरा हा।।
लालजी सूं लियोड़ी ,,,,,,,,,,,,,,,; शिक्षा म्हारी साची है ।
उम्मेदसिंह रा आखर-आखर ; लागे तीर्थ काशी है ।।
भँवरजी भाटी साहब,,,,,,,, ; शेखासर में साथ रह्या ।
मीर मोहम्मद जी आज भी ; गीता रो ज्ञान बांट रह्या।।
श्री शंकर जी अर नारायणजी ; भूपत जी भी भेळा हा।
सगळा पढावता चाव सूं ,,,,,,,,,,; शिक्षा रा व्हे मेळा हा ।।
इण जगत रो कण-कण भी ; गुरु रो ज्ञान सिखावे है ।
"ह्रदय" आळे हैत में नित ,,, ; डांडी साची दिखावे है ।।
कवि नरपत सिंह राजपुरोहित हृदय लेखनी ।।।।❤✍
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