प्राचीन काल की व्यवस्था मेरे ख्याल से सबसे अच्छी व्यवस्था थी आज कोरोना काल मे सरकार द्वारा परमिशन लेकर जाते हुए तो आपने कई बार सुना होगा लेकिन आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि आज से इतने 88 साल पहले भी शादी में जाने के लिए परमिशन लेनी पड़ती है ।
यह एक 88 साल पुराना सर्टिफिकेट है जो उस जमाने में शादी में बारात ले जाने के लिए जोधपुर स्टेट से परमिशन ले लेनी पड़ती थी यह स्वर्गीय ठाकुर केसरी सिंह जी निमोद के विवाह का बारात का सर्टिफिकेट है जो जो कवँर केसरी सिंह जी सन ऑफ ठाकुर पृथ्वी सिंह जी ठिकाना निमोद परगना डीडवाना स्टेट जोधपुर का विवाह ठाकुर गंगा सिंह जी ठिकाना कांकरा परगना सांभर स्टेट जयपुर के लिए बरात के लिए 30 आदमियों की परमिशन ली गई थी क्योंकि उस समय बरात ऊंट और घोड़ों पर हथियारों सहित जाती थी और उसी समय में छोटे-छोटे डाकुओं वह लुटेरों के गिरोह है भी जो अंग्रेजों की सरकार से बगावत करके बागी होकर छोटे-छोटे गिरोह है बन गए थे ।
जो बराती हो कि वेश में अंग्रेजों की छावनी या बड़े सेठ को लूट लिया करते थे इसी गिरोहों के कारण यह प्रथा चलाई गई थी जो चेक करने पर सर्टिफिकेट दिखाना पड़ता था और संतुष्ट होने पर ही आगे जाने की परमिशन होती थी बारात और डाकू के गिरोह हैं का सवारी और हथियार एक जैसे ही होते थे यह छोटे डाकू गिरोह कहीं भी जाते वह चेक होने पर बारात का बहाना बनाकर मौका देखकर कहीं भी लूटपाट कर ले लेते थे इसलिए एस्टेट ने शादी में जानने के लिए बारातियों को परमिशनलेटर देने का एक अलग ही विभाग बनाया और वही बरात लेकर जा सकते थे जिनके पास यह परमिशन लेटर होता था उसमें पूरा ब्योरा लिखा होता था बींद का नाम ठिकाना जहां बारात जा रही है उस ठिकाना का नाम बारातियों की संख्या यह सब उस में दर्ज होता था और लिखे हुए निश्चित समय में यह विवाह करके वापस लौटना होता था नहीं तो इस का जुर्माना लगता था।
जानकारी हमें उपलब्ध करवाई सुगना फाउंडेशन के उपाध्यक्ष भाई श्री एस पी सिंह राजपुरोहित उन का तहे दिल से धन्यवाद प्रकट करता है
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