'धर्मो रक्षति रक्षतः' - जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है सत्य, प्रेम और न्याय का मार्ग ही धर्म का मार्ग - महेंद्र सिंह राजपुरोहित
जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसको रक्षा करता है। सत्य, प्रेम और न्याय का मार्ग ही धर्म का मार्ग है। अंतिम सत्य को केवल धर्म के प्रकाश में ही महसूस किया जा सकता है। धर्म के मार्ग पर चलकर और अच्छे कर्म करके ही संस्कारित होते हैं नागरिक समाज और राष्ट्र को मजबूत और संगठित बनाता है। की प्रगति, जामृति, क्रांति, शांति राष्ट की एकता, अखंडता और सद्भाव में ही समाज निहित है। वर्तमान समय में पूरा समाज ब्राहमणों की ओर देख रहा है।
इसी उम्मीद के साथ. इसी शुभ भावना और शुभ कार्य से प्रेरित होकर एकजुट करने के लिए एबीबीएम की स्थापना की गई है, संपूर्ण ब्राहमण समाज, देश-विदेश में बसे ब्राहमणों पर मर्यादा निर्माण की जिम्मेदारी है अपनी भारतीय संस्कृक्ति की पवित्र परंपरा को वैश्विक बनाना और उसे अक्षुण्ण रखना। इन्हें सुनियोजित ढंग से एकत्रित करके एक ब्रह्मसूत्र में पिरोकर एक अभिनव सृजन करना है, ब्रहम-चिंतन एवं ब्रह्म-कर्म द्वारा राष्ट जागरण के लिए नवीन ब्राह्मण समाज की संरचना। हमें राजनीतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सभी क्षेत्रों में अपना महत्व स्थापित करना होगा। इसके लिए, प्रत्येक क्षेत्र, राज्य एवं राष्ट्र के ब्राह्मण समाज के सभी सदस्यों का योगदान हर स्तर पर अपेक्षित है। हमें एक झंडे, समूह, संगठन के नीचे खड़ा होना है और श्रवयं राष्ट जागृयाम पुरोहित की उक्ति को।
चरितार्थ करना है। इस दिशा में हमारी संस्था द्वारा विभिन्न योजनाएँ बनाई जा रही हैं।
आध्यात्मिकः हमारे समाज में ब्राहमणों, संतों और पुजारियों की भूमिका शिक्षा प्रदान करना, यज्ञ अनुष्ठान करना, मंदिरों में पूजा करना है। अभिषेक, विभिन्न संस्कार और संकीर्तन आदि करने से
सामाजिक सोच और कार्य प्रणाली में भारी बदलाव आया है नया नया युग. तो तदनुसार, ब्राह्मण जाति के विचारक, कर्मकांडी पुजारी, कर्मकांडी, पुजारी, कथावाचक आदि होंगे समय के अनुरूप आचरण भी अपनाना होगा। तीर्थ, आश्रम, आरण्यक, गुरुकुल, देवालय भारतीय संस्कृति के आधार स्तंभ हैं। उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी और पोषण का दायित्व भी बाह्मण समुदाय का है। इस दृष्टि से अनेक वेद पाठशालाएँ, गुरुकुल - देश के कोने-कोने में संस्कारशालाएं और मंदिर, आश्रम, तीर्थ, मठ कथा के माध्यम से मार्गदर्शन करते हैं- शिक्षण प्रशिक्षण, ऐसे सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर अच्छी सलाह, सहयोग, सुरक्षा की अत्यधिक आवश्यकता रहेगी, और हमारे परम पूज्य शंकराचार्य संत, महंत, मठाधीश, धार्मिक गुरु अयोग गुरुओं का मार्गदर्शन। डालने के लिए उन्हें क्रियान्वित करने के लिए आध्यात्मिक क्षेत्र में विशेष प्रयास करने होंगे।
सामाजिकः ब्राहमण समाज के लोगों का सामाजिक स्तर ऊंचा उठाने के लिए विशेष पहल शुरू करनी होगी. हरेक का समाज में व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार होना चाहिए। उन्हें खुशियाँ मिलें. उनकी जीवनशैली का स्तर और मानसिकता ऊपर उठनी चाहिए, ब्राहमण समाज के प्रत्येक सदस्य को सभ्य, सुसंस्कृत एवं अच्छा नागरिक बनना चाहिए। विभिन्न धार्मिक कार्यों जैसे उपनयन, विवाह, उत्सव आदि में व्यय बहुत
अधिक होता है। एक आम आदमी यह बोझ नहीं उठा सकते. इसलिए सामूहिक उपनयन, सामूहिक विवाह, त्यौहार, अनुष्खन आदि की प्रगतिशील परंपराएँ हैं हमारे समाज में विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। एबीबीएम असाधारण रूप से प्रतिभाशाली युवाओं को प्रोत्साहित और सम्मानित करता है हमारे समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अवेखनीय कार्य किया जिससे समाज के अनेक भाई-बहन प्रेरणा ले सकें उनसे और अच्छे जीवन के पथ पर आगे बढ़ें। विस्तार हेतु मासिक पत्रिकाएँ, स्मारिकाएँ एवं साहित्य का सृजन किया जाता है संगठन का नेटवर्क और एबीबीएम की उपलब्धियों के बारे में जनता तक जानकारी फैलाना।
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