वीर श्री जगराम जी सेवड़ के वीरता की बखान में जो दोहे प्रचलित हैं उन्हें साझा कर रहा हूं । आज श्री जगराम जी की 284 वी पुण्यतिथि है। उनको राजपुरोहित समाज इंडिया और सुगना फाउंडेशन परिवार की ओर से सादर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
1. छोटी उम्र रो छोरियो , होंठा काली रेख ।
रण राडां प्रोहित जगो , रम्यो भिडियो भिड़मल भेख !!
2. प्रतख राज प्रोहित जगो , सुणले गढ़ बीकाण ।
जगो उभां किम जावसी, करणी रख सी काण ।।
3. मरण नुं मंगल गिनियो , गढ में युद्ध घमसाण !
गोला चलिया गजबरा , जुंझे सेवड जगराणं !!
4. प्रोहित जगराम पूछे, विलखो किम गढ बीकाणं !
करिया म्हें केसरिया , करसां युद्ध कमठाणं !!
5. तोपां गरजे ताख़ड़ी , मची हाक विकराल !
जगो धड़के सांड ज्यों , तोप छुटी तत्काल !!
6. आगल मरणे आवियो सेवड रण सिरमौड !
धन प्रोहिताणी मां धन जायो थुं सिंहा जोड़ !!
7. प्रोहित देवे पौहरा , जाड़ो जगराम !
छतरी गढ़ बीच में छीबे , सेवड़ रे नाम !!
श्री जगराम जी के पिता श्री हरनाथ जी और दादा श्री कान जी सेवड़ थे, श्री जगराम जी का जन्म विक्रम संवत 1770 - 71 में हुआ था और आज ही के दिन विक्रम संवत 1797 मे वीरगति प्राप्त की जूना गढ़ बीकानेर राजस्थान में...
आभार और धन्यवाद
लेखक . श्री महेंद्र सिंह मूलराजोत सेवड़ गांव ढण्ढोरा,
जिला जोधपुर, हाल चेन्नई
संदर्भ. राजपुरोहित जाति का इतिहास भाग 2
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