लंदन विगत वर्ष कि भांति इस वर्ष भी लंदन में विशाल राजपुरोहित सम्मेलन 23 अगस्त को होगा। लंदन के हैरो में आयोजित इस सम्मेलन में राजपुरोहित संतों का गुणगान भी किया जाएगा। आज जहां देश-विदेश में बसे राजपुरोहित बंधु अपनी पहचान खो रहे हैं। वहीं यूनाइटेड किंगडम में बसे राजपुरोहित अपने पूर्वजों के गौरवशाली इतिहास, पहचान और संस्कारों के साथ हर साल राजपुरोहित सम्मेलन का आयोजित करते आ रहे हैं तथा अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने का प्रयास कर रहे है। इस विशाल राजपुरोहित सम्मेलन में लंदन ही नहीं बल्कि इंग्लैंड, वेल्श, स्कॉटलैंड और आयरलैंड में बसे राजपुरोहित भी हिस्सा लेंगे। पिछली वर्ष कि भांति इस वर्ष भी राजस्थानी पहचान दाल-बाटी – चूरमे के साथ विभिन्न राजस्थानी भोजन परोसे जाएंगे। मेहमानों का स्वागत तिलक लगाकर व साफा बंधाकर किया जाएगा। जहां बच्चे मेहमानों का स्वागत जय रघुनाथ जी री सा और मनवार में जळ आरोगो सा जैसे संबोधनों से करेंगे।
होगा गेर और घूमर नृत्य
कार्यक्रम में खास बच्चों को तैयार किया गया है जो अपने समाज, गांव और पूर्वजों के इतिहास के बारे में दो शब्द बोलेंगे। वहीं, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ छोटी गेर और घूमर भी होगी। पिछले यहां राजपुरोहितों की जाजम लगेगी, जहां समाज बंधु एक-दूसरे को अपने हथेली में अमल की मनवार करेंगे। संयोजक हनवंतसिंह निवासी पाली ने बताया कि इंग्लैंड का ये राजपुरोहित समाज अपनी संस्कृति को जीवित रखने के लिये ये अनूठी पहल करता आया है, जिसका उद्देश्य है कि राजपुरोहितों की पहचान जीवित रहनी चाहिए और अफ़ीम के नुक़सान को देखते हुए डार्क चाकलेट का प्रयोग किया है, जो दिल के लिए भी अच्छी होती है।
प्रोग्राम के लिए मितेश, भमरसिंह, विनोद, ममता, रविना, आशा और चारुलता कार्यक्रम की तैयारियों में जुटी हैं। इस अवसर पर राजपुरोहित समाज यूके ने अपनी वार्षिक पत्रिका, राजपुरोहित समाज-2025 का भी प्रकाशन करेंगा, जिसका विमोचन सम्मेलन में किया जाएगा।
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