-
राव बिकाजी राज में , पुरोहित दईदास ।
जनम लीयो जिण घर , कुँवर किशनादास ।।
दईदासजी जांगळ रे , जुद्ध में आया काम ।
पूत पाटवी किशनजी , गुरुपद चढ्यो नाम ।।
साँसण मिळगी सांतरी , थोरीखेड़ा गांव ।
पनरेसो इकहत्तर में , कत्थ किशनासर नांव ।।
सरवर खुदाय चाव सूं , कोहर कोसो कोस ।
जळ सारूं नह भटकणो , हिरदै राख्यो होश ।।
माँ करणी रो देवरो , थापन कीनो आप ।
ओरण राखी ओपती , मन सूं जपियो जाप ।।
राव राठौड़ जैतसी , राजगद्दी बीकाण ।
सोवा गांव री सीवं , घण मन्डयो घमसाण ।।
जोधाणे (सूं) जुंझ पड़या , वीर किशनजी दास ।
जीव दीयो जांगळ हित ,गढ़ बीकाण उजास ।।
सताइस गांव रो कुटुम्ब , कहिजै है किशनांण ।
गढ़ बीकाण (में) गाज रह्या , अजतक है ऐनाण ।।
#ह्र्दयलेखनी ।।
कवि और लेखक भाई
नरपतसिंह राजपुरोहित ह्रदय द्वारा कृत ,
कृपया मूल रूप में शेयर करें ।
No comments:
Post a Comment
यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर(Join this site)अवश्य बने. साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ. यहां तक आने के लिये सधन्यवाद.... आपका सवाई सिंह 9286464911