।।श्री गणेशाय नमः।। ।। श्री जोगेश्वर नमः।।
श्री 1008 श्री महंत श्री हीरानंद जी सरस्वती जी महाराज की जीवनी....
राजस्थान में जालौर जिले के गौमडी गांव में राजपुरोहित जागरण गोत्र में पिताजी सोनाराम जी माताजी श्री रूपा देवी जी की कोख से विक्रम संवत 2013 भादवा सुदी तेरस ब्रह्म मुहूर्त में हरिराम का जन्म हुआ।
बाल्यकाल में ही अपने पिताजी के भक्ति मय जीवन का प्रभाव पड़ा वह मन आध्यात्मिक की तरह दिनों दिन बढ़ता गया प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने पिताजी के कृषि कार्य में जब मन होता तो हाथ बताते अन्यथा ध्यान व सत्संग में मगन रहते सत्संग के बल से परिवार को रोग मुक्त किया साथ ही साथ जन हितार्थ भी कईयों के साधना के द्वारा दुखों को दूर किया इनकी चर्चाएं दूर दरार तक फैल गई जिस वजह से स्थान पर भक्त भाविको का दुखी दर्जियों का तांता लगा रहता था 1 दिन श्री 1008 श्री शिवानंद जी महाराज गौमडी गाम पधारे और भक्त भावीको को मिलने के बाद हरिराम के तपस्या स्थान को देखा और कहा संसार में दो रास्ते हैं एक तो सांसारिक जीवन बिताना और दूसरा जीवन सफल बनाना तुम्हें कौन सा रास्ता चुनना है तब हरिराम ने सोचा कि अब लक्ष्य की और पहुंचने का समय समीप आ गया है इसे खोना नहीं चाहिए तब श्री हरिराम ने निवेदन के रूप में प्रार्थना की कि मैं सांसारिक प्रपंच में नहीं पड़ना चाहता तब श्री शिवानंद जी महाराज ने कहा कि चलो हमारे साथ तत्काल उसी क्षण हरिराम ने संकल्प कर मन ही मन श्री शिवानंद जी महाराज को गुरु धारण कर गुरु महाराज की जोली और डंडा उठाकर गुरु महाराज के साथ रवाना हो गए अपने परिजनों व माता श्री ने कहा अगर सन्यास ही लेना है तो जाओ मेरे दूध की लाज रखना और प्राणी मात्र की सेवा करना यह आशीर्वाद दिया पिता श्री से आज्ञा प्राप्त कर चिलचिलाती धूप में घर से रवाना होते समय लोगों ने बताया काबर नाम की चिड़ियों ने इन संतो के ऊपर छतरी बनाकर छाया करके धूप से बचाव किया शिष्य बनने पर कई कसौटी ओं से गुजरना पड़ता है और पूर्ण रूप से परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लगभग 10 वर्ष पश्चात विक्रम संवत 2042 भादवा सुदी 12 को रात्रि जागरण मननना वास जसोल जहां श्री 1008 श्री जोगानंद जी महाराज का धूना है गुरु चेला और कई भक्तों के साथ वहां पधारे इन्हें अपने गुरु भाइयों वह दादा गुरु श्री 1008 श्री पूर्णानंद जी महाराज गांव गादेसरा के सानिध्य में विधिवत दीक्षा ली नामकरण श्री हीरानंद जी सरस्वती जी महाराज से संबोधित कर आशीर्वाद दिया। 4 वर्ष लगातार गुरु के आज्ञा अनुसार साथ रहे यात्राएं की जिनमें कोलायत से अबु तक श्री शिवानंद जी महाराज दंडवत करते हुए। आबू पहुंचे रास्ते में भक्त भावी को व श्रद्धालुओं द्वारा जगह-जगह स्वागत होता रहा अबू पहुंचकर परिक्रमा की फिर वास्थान जी पर शेषनाग की गुफा का निर्माण करवाकर मेलों का आयोजन किया शिवानंद जी महाराज हीरा नंद जी को कुटुंब यात्रा करवा कर दादाल चले आए वहां से गुरु आज्ञा द्वारा श्री हीरानंद जी महाराज ने मननावास में श्री 1008 श्री जोगानंद जी महाराज के धुने पर व्यवस्था संभाली तब श्री हीरानंद जी ने या आकर पॉल कोर्ट कमरे पानी का टांका श्री जोगानंद जी महाराज के धुना पर अखंड ज्योत संकट मोचन हनुमान जी का मंदिर अखंड ज्योत. श्री दूधेश्वर महादेव शिवलिंग के पास अखंड ज्योत मनना कुल की कुलदेवी चामुंडा माता के अखंड ज्योत इस प्रकार 4 अखंड ज्योत की शुरुआत की जो वर्तमान में जारी है गुरु आज्ञा से इस आश्रम की सेवा को मानना वास बस्ती को सौंप कर अपना तपस्या स्थान बनवाया सरस्वती नगर याहाआकर श्री नागेश्वर महादेव जी की स्थापना कीआश्रम में वर्तमान में गायत्री माता के अखंड ज्योत नागेश्वर मंदिर में अखंड ज्योत संकट मोचन हनुमान जी मंदिर में अखंड ज्योत श्री दत्त गुरु जी धुना में अखंड ज्योत श्रद्धालुओं भक्तों के रसोड़ा भोजन प्रसाद और गौ माता के चारा पानी नियमित रूप से व्यवस्था संत श्री के सानिध्य में दुखी दर्जियों का दुख निवारण इस युक्ति को चरितार्थ कर रही है तरुवर सरोवर संत जन चौथा बरसे मेघ परमार्थ के कारण चारों धारी देह अपने स्वाध्याय के साथ-साथ प्राणी मात्र जो आश्रम तक पहुंच जाएं संत श्री के आराध्य देव की शीतल छाया में तो उसके दुखों की स्वत निवृत्ति हो जाती है और संत श्री ने गुरु महाराज की कृपा से चंदा टिप्पणी ओली ऊगराना का त्याग कर जगत भगत श्रद्धालु प्रेम से श्रद्धा से भेट पूजा रखी हुई को आदर सम्मान के साथ स्वीकार करते हुए भजन सत्संग सत्कर्म सेवा में लगाने तथा राखड़ी डोरा धागा मादलिया ताबीज से भक्तों श्रद्धालुओं को मुक्त करने का संकल्प लिया माताजी रूपा देवी जी की तपस्या ग्रहस्त जीवन में भी नियमित रही जिसमें अनाज भोजन नहीं लेते थे। ओर 24 घंटों में केवल एक गिलास दूध या पानी लेते थे संत श्री का कहना है कि शिक्षा का बड़ा महत्व है शिक्षा के बिना मनुष्य जीवन व्यर्थ है शिक्षा से ही मनुष्य के उत्थान का श्रीगणेश होता है संत श्री का कहना है कि संस्कारों व संस्कृति से दूर नहीं जाना चाहिए अगर संस्कार और संस्कृति से दूर रहे तो तुम्हारा पतन भी नीचय है अन्यथा इसके पथ पर चलते रहे तो गुरु कृपा से बहुमुखी विकास ही होगा भला ही होगा संत श्री भी अनाज भोजन नहीं करते हैं केवल फलाहार भजन सुमिरन में सदा मस्त है और गुरु महाराज की क्या मैं उपमा कर सकूं जितनी उपमा करो उतनी कम है। सारी धरती का कागज करूं कलम करू वरना राय सात समंदर की सही भरू तो भी गुरु गुण लिखा न जाए।
परम पूज्य गुरुदेव आज ब्रह्मलीन हो गए हैं 1008 संत शिरोमणि श्री हीरानंद जी महाराज के देवलोक गमन पर मैं बहुत दुख व्यक्त करता हूं और प्रभु श्री के चरणों में नमन करता हूं महाराज श्री ने हमारे समाज का बहुत नाम रोशन किया है और भगवान के चरणों में उनको स्थान मिले ऐसी में, ईश्वर से प्रार्थना करता हूं .... शौर्य प्रताप सिंह राजपुरोहित टीम सुगना फाउंडेशन और राजपुरोहित समाज इंडिया 🙏🙏🚩🚩
इसमें अगर कोई भी गलती हो तो मुझे छोटा बच्चा समझकर मुझे क्षमा कर देना मुझे माफ करना हरि ओम हरि ओम हरि ओम...
जीवन परिचय के लिए आभार श्री जगदीश सिंह जी राजपुरोहित सूरत
शत् शत् नमन वंदन गुरूदेव जी को। हीरानंद जी महाराज वास्तव में हीरा थे। शांत,सौम्य स्वभाव की अमूल्य धरोहर,आज हम सब से विदा लेकंर अपने परम तत्व में समाहित हो गये। आप श्री की दिव्यात्मा को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteगुरुदेव के चरणों में कोटि-कोटि वंदन मेरे शब्दों को पेज पर जगह देने के लिए आभार
ReplyDelete🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Deleteशत् शत् नमन वंदन गुरुदेव के चरणों में।
ReplyDeleteशत शत नमन गुरुदेव को
ReplyDelete🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteJai data ri sa 🙏🙏
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